ये रागनी कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी एतिहासिक सांग"जयमल-फत्ता"सांग से ली गई है ये उस समय की बात है जब जयमल-फत्ते की सेना अकबर के साथ लड़ते लड़ते कमजोर पड़ गई थी|
तब जयमल ने क्या फैसला लिया ये इस रागनी में बताया गया है-
उल्टे हटें ना इतने सांस ठिकाणे रै||टेक||
सुण ले बात ससुर की जाई,
कोन्या मेरी समझ म्ह आई,
अकबर गेल्यां करेंगे लड़ाई,तेगा ठा मत ना घुघंट ताणे रै||१||
उल्टे हटें ना इतने सांस ठिकाणे रै||टेक||
हम कर कै ने तदबीर चलेंगे,
आगे अपणे तकदीर चलेंगे,
जब आम्ह्या साह्म्यी तीर चलेंगे,साच्ची बता द्यूं किसने कौण पिछाणे रै||२||
उल्टे हटें ना इतने सांस ठिकाणे रै||टेक||
लख्मीचंद जो छन्द धर भी गया तै,
मांगे राम जै घिर भी गया तै,
लड़ते लड़ते मैं मर भी गया तै,मेरे बाळकां ने दियो भेज सुसाणे रै||३||
उल्टे हटें ना इतने सांस ठिकाणे रै||टेक||
Sahil And Navrattan Sharma,
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sahilkshk6@gmail.com
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