Tuesday 19 June 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

पंडित मांगे राम सांगी जी  16-11-1967 को इस संसार से  अलविदा हो गये!उनकी बेटी फूलो  ने उनके स्वर्ग सिधारने पर उनकी याद मे 1 रागनी की रचना की है जो रागनी होने  के साथ साथ 1 सचाई है!आज उनकी पुत्री भी जीवित नही है,यह रागनी केवल पंडित मांगे राम जी के सुपुत्र ओमप्रकाश को याद है-
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक

1.सारी बात बता दी पहला अपना भजन जोड़ क,
   उसी जगा प पहोच गया फेर सारा कुटुम्ब छोड़ क,
   सब क्याए ते ध्यान हटा लिया ना देखी नाड मोड़ क,
   क्रड़ाई का चढ़ गया ना मूड़ क उल्टा आया!
  
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक

गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक

2.रो रो रध्न मचा रही दोनों लुट ली दिन धोळी,
   साथ बणा क अधम छोड़ ग्या के भरी बिचारी न झोली,
   सारे खेल खत्म करग्या ली छीन मांग की रोली,
   गंगा जी पर ते ल्याए भरी नाड़ की कोली,
   माथे तिलक लगा दिया सती ने गल में हार सजाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक

गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक

3.बलमत बोल्या तू कित जा सै मैं आड़े बैठ्या पाउँगा,
   आ लेन दे मने काम जरूरी आके कथा सुनाऊंगा,
   बेरा ना कित जाणा था ना मन का भेद बताया!

गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक




इस ब्लोग्स का लेखक तो मैं अपनी बुआ जी(फूलवती देवी)जी को मानता हूँ क्योकि उनकी इस रागनी बिना ये ब्लोग्स अधूरा था!मैं अपने ताऊ जी(ओमप्रकाश जी) का भी धन्यवाद करता हूँ क्योकि ये रागनी उन्ही ने बताई है!


अगर कोई गलती हो जाती है तो क्रप्या मुझे गलती सुधारने का अवसर जरुर दे मैं आपके लिए ऐसे ही ब्लोग्स लाता रहूँगा
                                     धन्यवाद

साहिल कौशिक,
आयु-16 वर्ष,
दुरभाष नंबर-+919813610612
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com






Wednesday 13 June 2012

Pandit Mange Ram Sangi

                                                          
 कवि शिरोमणी पंडित मांगे राम सांगी जी 16-11-1967 को ब्रह्मलीन हो गये!जब दादाजी (पंडित मांगे राम) जी की म्रत्यु हुई तब उनके सुपुत्र ओमप्रकाश थे जो उनकी गोद में बैठे थे!जब पंडित मांगे राम जी बुद्ध के सांग के बारे में बता रहे थे की 1 हाथी ने पहाड़ के चक्र 2 लगाये  है तो उनके सुपुत्र  ओमप्रकाश जी ने कहा कि नही पिताजी चार चक्र तो तभी उन्होंने 1 बार उपर देखा और फिर उनका सिर झुकता गया  !उनकी म्रत्यु का यही कारण था!उनके शिष्य  पंडित जयनारायण ने  उनके  अंतिम  पलो को 1 रागनी बनाकर प्रकट  किया है,रागनी इस  प्रकार है-
20 वर्ष  तक दुनिया के में लख्मीचंद याद दिवाया,
तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

1.14-11-67 ने गँगा जी नहाण गया था,
   म्रत्यु के दिनं नेड़े आग़े पहलम जाण गया था ,
   स्याणा ते थे बहोत घणा के भूल औसाण  गया था,
   घन्ने दिन ते गाया करता वो प्रण निभाण गया था,

   15 तारीख 8 बजे जा गंगा जी में नहाया
तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

2.16-11-67 ने  जिक्र चलावण लाग्या ,
   बुद्ध का सांग बणाया स या कथा सुणावण लाग्या,
   बुद्ध की मा न सुपना आया न्यू समझावण लाग्या ,
   1 सोने का दिया पहाड़ दिखाई न्यू बतलावण लाग्या ,
    1 हाथी न आक़े पहाड़ का चक्र 1 लगाया!

तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

3.चक्र चार कहे लडके ने एक दम दहका खाग्या ,
   लगा समाधि तुरिया  पद की आगा सोचण लाग्या,
   प्राण खीच लिए उपर ने सिर न आग्या,
   10वे  द्वार पर प्होच गये आग्ग़े लखमीचंद पाग्या ,
       चरण पकड़ क गेल हो लिया उल्टा कोन्या आया!

तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

4.घोर अँधेरा होया चाणचक बाती तेल खत्म होग्या,
   10 इन्द्री 25प्राक्रति इनका मेल खत्म होग्या,
   5 तत्व से बण्या पुतला वो भी ग़ैल खत्म होग्या,
   माट्टी के म़ाह माटी मिलगी सारा खेल खत्म होग्या,
जयनारायण फिरे टोहव्ता गुरु गंगा बीच समाया!

तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक
20 वर्ष तक दुनिया के में लख्मीचंद याद दिवाया,
तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक