पंडित मांगे राम सांगी जी 16-11-1967 को इस संसार से अलविदा हो गये!उनकी बेटी फूलो ने उनके स्वर्ग सिधारने पर उनकी याद मे 1 रागनी की रचना की है जो रागनी होने के साथ साथ 1 सचाई है!आज उनकी पुत्री भी जीवित नही है,यह रागनी केवल पंडित मांगे राम जी के सुपुत्र ओमप्रकाश को याद है-
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
1.सारी बात बता दी पहला अपना भजन जोड़ क,
उसी जगा प पहोच गया फेर सारा कुटुम्ब छोड़ क,
सब क्याए ते ध्यान हटा लिया ना देखी नाड मोड़ क,
क्रड़ाई का चढ़ गया ना मूड़ क उल्टा आया!
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
2.रो रो रध्न मचा रही दोनों लुट ली दिन धोळी,
साथ बणा क अधम छोड़ ग्या के भरी बिचारी न झोली,
सारे खेल खत्म करग्या ली छीन मांग की रोली,
गंगा जी पर ते ल्याए भरी नाड़ की कोली,
माथे तिलक लगा दिया सती ने गल में हार सजाया,
3.बलमत बोल्या तू कित जा सै मैं आड़े बैठ्या पाउँगा,
आ लेन दे मने काम जरूरी आके कथा सुनाऊंगा,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
साहिल कौशिक,
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
1.सारी बात बता दी पहला अपना भजन जोड़ क,
उसी जगा प पहोच गया फेर सारा कुटुम्ब छोड़ क,
सब क्याए ते ध्यान हटा लिया ना देखी नाड मोड़ क,
क्रड़ाई का चढ़ गया ना मूड़ क उल्टा आया!
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
2.रो रो रध्न मचा रही दोनों लुट ली दिन धोळी,
साथ बणा क अधम छोड़ ग्या के भरी बिचारी न झोली,
सारे खेल खत्म करग्या ली छीन मांग की रोली,
गंगा जी पर ते ल्याए भरी नाड़ की कोली,
माथे तिलक लगा दिया सती ने गल में हार सजाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक3.बलमत बोल्या तू कित जा सै मैं आड़े बैठ्या पाउँगा,
आ लेन दे मने काम जरूरी आके कथा सुनाऊंगा,
बेरा ना कित जाणा था ना मन का भेद बताया!
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
गंगा और हरिद्वार वो 20 वर्ष तक नहाया,
गंगा जी गढ़ मुक्तेश्वर ऋषियों का पद पाया-टेक
इस ब्लोग्स का लेखक तो मैं अपनी बुआ जी(फूलवती देवी)जी को मानता हूँ क्योकि उनकी इस रागनी बिना ये ब्लोग्स अधूरा था!मैं अपने ताऊ जी(ओमप्रकाश जी) का भी धन्यवाद करता हूँ क्योकि ये रागनी उन्ही ने बताई है!
अगर कोई गलती हो जाती है तो क्रप्या मुझे गलती सुधारने का अवसर जरुर दे मैं आपके लिए ऐसे ही ब्लोग्स लाता रहूँगा
धन्यवाद
साहिल कौशिक,
आयु-16 वर्ष,
दुरभाष नंबर-+919813610612
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com
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