Wednesday, 13 June 2012

Pandit Mange Ram Sangi

                                                          
 कवि शिरोमणी पंडित मांगे राम सांगी जी 16-11-1967 को ब्रह्मलीन हो गये!जब दादाजी (पंडित मांगे राम) जी की म्रत्यु हुई तब उनके सुपुत्र ओमप्रकाश थे जो उनकी गोद में बैठे थे!जब पंडित मांगे राम जी बुद्ध के सांग के बारे में बता रहे थे की 1 हाथी ने पहाड़ के चक्र 2 लगाये  है तो उनके सुपुत्र  ओमप्रकाश जी ने कहा कि नही पिताजी चार चक्र तो तभी उन्होंने 1 बार उपर देखा और फिर उनका सिर झुकता गया  !उनकी म्रत्यु का यही कारण था!उनके शिष्य  पंडित जयनारायण ने  उनके  अंतिम  पलो को 1 रागनी बनाकर प्रकट  किया है,रागनी इस  प्रकार है-
20 वर्ष  तक दुनिया के में लख्मीचंद याद दिवाया,
तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

1.14-11-67 ने गँगा जी नहाण गया था,
   म्रत्यु के दिनं नेड़े आग़े पहलम जाण गया था ,
   स्याणा ते थे बहोत घणा के भूल औसाण  गया था,
   घन्ने दिन ते गाया करता वो प्रण निभाण गया था,

   15 तारीख 8 बजे जा गंगा जी में नहाया
तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

2.16-11-67 ने  जिक्र चलावण लाग्या ,
   बुद्ध का सांग बणाया स या कथा सुणावण लाग्या,
   बुद्ध की मा न सुपना आया न्यू समझावण लाग्या ,
   1 सोने का दिया पहाड़ दिखाई न्यू बतलावण लाग्या ,
    1 हाथी न आक़े पहाड़ का चक्र 1 लगाया!

तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

3.चक्र चार कहे लडके ने एक दम दहका खाग्या ,
   लगा समाधि तुरिया  पद की आगा सोचण लाग्या,
   प्राण खीच लिए उपर ने सिर न आग्या,
   10वे  द्वार पर प्होच गये आग्ग़े लखमीचंद पाग्या ,
       चरण पकड़ क गेल हो लिया उल्टा कोन्या आया!

तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक

4.घोर अँधेरा होया चाणचक बाती तेल खत्म होग्या,
   10 इन्द्री 25प्राक्रति इनका मेल खत्म होग्या,
   5 तत्व से बण्या पुतला वो भी ग़ैल खत्म होग्या,
   माट्टी के म़ाह माटी मिलगी सारा खेल खत्म होग्या,
जयनारायण फिरे टोहव्ता गुरु गंगा बीच समाया!

तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक
20 वर्ष तक दुनिया के में लख्मीचंद याद दिवाया,
तेरे रेत में आण मिलूँगा 7 वर्ष तक गाया !-टेक



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