Friday 27 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।इस आजादी में भारत माता के अनगणित सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी।उन शहीदों को कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम  ने अपनी रचनाओ में श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं।शहीदों के बलिदान की साथर्कता को अंजाम तक पहुचाने वाले महापुरुषो का,प्रतीक टोपी रूप में इस प्रकार उल्लेख किया हुआ है-
महात्मा की आत्मा ने आजादी दिला दई।
टोप चले टोपी आगयी दुनिया हिला दई।।टेक।।


अमरीका ने टोपी अटम बम्ब दिखाई दे सै।
योरूप  ने या टोपी कोन्या कम दिखाई दे सै।
एशिया ने टोपी रोकी दम दिखाई दे सै।
अफ्रीका ने टोपी खावे गम दिखाई दे सै।
भई,इस टोपी ने भारत की जड़ चोवे ला दई।।1।।
टोप चले टोपी आगयी दुनिया हिला दई।।टेक।।


जब टोपी जर्मन म्ह पहुची हिटलर गेल्या प्रचार करया।
जब टोपी जापान म्ह पहुची बड़ा टेडा प्रचार करया।
जब टोपी सिंगापूर पहुची एक मसोदा त्यार करया।
जब टोपी इम्फाल पहुची दिल्ली का इंतज़ार करया।
भई,इस टोपी ने चीन म्ह जा के सच्ची सलाह दई।।2।।
टोप चले टोपी आगयी दुनिया हिला दई।।टेक।।


इस टोपी ने छ:सो रियासत ठयोड़ ठिकाणे ला दी।
इस टोपी ने जागीरदारी बहामे-दहने ला दी।
इस टोपी ने छतीस जाती पांत-सिरहाने ला दी।
इस टोपी ने एक नहर भाखड़ा शहर टोहाणे ला दी।
भई,इस टोपी ने सतलुज-यमुना कट्ठी मिला दई।।3।।
टोप चले टोपी आगयी दुनिया हिला दई।।टेक।।


इस टोपी ने साठ साल अंग्रेज भजा के मारया।
इस टोपी ने अब्दुला कर हेज भजा के मारया।
इस टोपी ने मिस्टर चर्चिल तेज भजा के मारया।
कहे मांगेराम खोस कुर्सी सुंध्या मेज भजा के मारया।
भई,इस टोपी ने सारी दुनिया काटे तुला दई।।4।।
टोप चले टोपी आगयी दुनिया हिला दई।।टेक।



महात्मा की आत्मा ने आजादी दिला दई।
टोप चले टोपी आगयी दुनिया हिला दई।।टेक।।


लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम पाण्ची वाले।




साहिल कौशिक,
मोब-+919813610612
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com











Tuesday 24 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

जब अंग्रेजो को देशभक्तों ने अंग्रेजों को देश से भगा दिया तो उन्होंने जाते जाते भी हिन्दू -मुसलमानों के बीच फूट डाल दी जिसे हरयाणवी भाषा में मारकाट कहते हैं।भारत और पाकिस्तान के विभाजन का दिल को हिला देने वाला मार्मिक चित्रण कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी ने अपने शब्दों में किया हुआ है-
जमाने आया अपरम्पार।
इधर-उधर के फिरे भागते कर के हा-हाकार।।टेक।।

भाई जी को छोड़ भाई भाग भाग जाने लगे।
मोटर-रेल तांगे बग्गी गाडियों में आने लगे।
भूखे मरते घास पते तोड़ तोड़ खाने लगे।
बाप कहीं,बेटा कहीं,बेटियों का बेरा नही।
सिर के उपर गोली चालें लूख्णे को अँधेरा नही।
गुंडों ने मचाई लुट गोरमेंट का घेरा नही।
फेर घबरा गयी सरकार।।1।।
इधर-उधर के फिरे भागते कर के हा-हाकार।।टेक।।

आपस के म्ह कटते मरते हिन्दू मुसलमान देखे।
इंडिया में आये और जाते  पाकिस्तान देखे।
कच्चे और पक्के हम ने फूकते मकान देखे।
चोकीदार,लम्बरदार,ठोलेदार मारे गये।
जैलदार,होलदार,सूबेदार मारे गये।
तहसीलदार,जमादार,थानेदार मारे गये।
फेर खोस लिए हथियार।।2।।
इधर-उधर के फिरे भागते कर के हा-हाकार।।टेक।।

मुसलमान मिलट्री ने हिन्दुओ को सूट किया।
रेडियो,अखबार ने प्रोपगंडा झूठ किया।
गदारो ने मिल कै रोला जग में चारो खुट किया।
कारखाने,मिल बंद साहूकार खोया गया।
बोई-बाही धरती रहगी जमीदार खोया गया।
न्यारे न्यारे होग्ये भाईचारा खोया गया।
ये देखे खड़े नर-नार।।3।।
इधर-उधर के फिरे भागते कर के हा-हाकार।।टेक।।

सरगोधा और शेखपुरा पहले झगड़ा लाहोर होया।
मियांआली,रावलपिंडी,जेहलम के म्ह शोर होया।
अमृतसर-लुधिआना फेर हरियाणे में जोर होया।
गोरखा-बिलोच फोज लाहोर के म्ह खूब लड़ी।
पटड़ी और प्लेट फार्म स्टेशन पे लाश पड़ी।
मांगेराम देख रह्या गोली चाली चार घड़ी।
फेर एक दम फिर ग्या तार।।4।।

इधर-उधर के फिरे भागते कर के हा-हाकार।।टेक।।
जमाने आया अपरम्पार।
इधर-उधर के फिरे भागते कर के हा-हाकार।।टेक।।

लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम पाण्ची वाले।


साहिल कौशिक,
मोब-+919813610612
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com

Monday 23 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

                                                                                                                                                                                               

आज भारत देश  उन्नति के राह पर है।परन्तु लोगो में जिम्मेदारी की भावना समाप्त होती जा रही है।हमारे सामाजिक रिश्ते तार तार होते जा रहे हैं।सामाजिकता पर व्यक्तिवादी विचारधारा हावी होने लगी।समाज के बदलते मूल्यों का चित्रण कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी जी ने अनेक रचनाओ में किया है।उनमे से एक  रागनी है-
कैसे चाल पिछाणी जागी इस रंगदार जमाने की।।टेक।।

गंगा जी पे चोरी करते जमना जी पे गावे गीत।
वेद-शास्त्र सुणते कोन्या दुनिया की बदलगी रीत।
रिश्तेदार-यारी छुटी पैसे के माह रही प्रीत।
कलयुग तो यु नुए बीतेगा सहम बेचारी दुनिया रोती।
अड़बंद के साड़े बांधे थे तहमद बांधे दोहरी धोती।
ऋषि-महात्मा राख्या करते साथ म्ह संध्या की पोथी।
जो आज बिकती दो दो आने की।।1।।
कैसे चाल पिछाणी जागी इस रंगदार जमाने की।।टेक।।

भाई ने भाई चहाता ना बेटे ने चहाता बाप।
बीर-मर्द रहे दोनों घर म्ह दोनुवा के मन म्ह पाप।
किसे का भी दोष नही वे दुश्मन बण के बेठे आप।
तू मेरे म्ह,मैं  तेरे म्ह 100-100 ऐब क्डावन लागगे।
न्याय-नीति इंसाफ रह्या ना गंगा पाहड चडावण लाग्गे।
जग परले म्ह कसर कड़े जब शुद्र वेद पडावन लागगे।
या इज्जत ठोले पाने की।।2।।
कैसे चाल पिछाणी जागी इस रंगदार जमाने की।।टेक।।

घर-घर म्ह हिमाती होगे हिमात्या का ओड रह्या ना।
घर-घर म्ह बाराती होगे बारता का ओड रह्या ना।
घर-घर म्ह पंचायती होगे पंचेता का ओड रह्या ना।
कष्ट की कमाई लोगो खांड कैसी काची होगी।
भटियारी की रांधी होई कदे भी ना काची होगी।
जुणसी मांगेराम कहदे सोला आने साची होगी।
या खोटी मार निशाने की।।3।।
कैसे चाल पिछाणी जागी इस रंगदार जमाने की।।टेक।। 

कैसे चाल पिछाणी जागी इस रंगदार जमाने की।।टेक।। 


\लेखक-पंडित मांगेराम सांगी पान्ची वाले।


साहिल कौशिक,
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Saturday 21 July 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी जी ने मानव के परलोक साधने पर अनेक रागनियाँ बनाई थी जिनमे से एक प्रमुख रागनी है देखिये-
जाग ज्या मुसाफिर के तेरी आँख फुट्गी।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


फर्स्ट,सेकंड,थर्ड इंटर ड्ब्बे चार सें।
बिना टिकट बैठेगा ते डंडे त्यार सें।
चार सिपाही उनके संग म्ह 100 हथियार सें।
पाछे टी-टी  आग्गे दो थाणेदार सें।
तेरे साथ की साथण संग ना चाले रुठ्गी।।1।।


भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


बिना टिकट बैठ्गा ते तने टी-टी  पावेगा।
पकड़ के ले जां तने कोण छुटावेगा।
कुटुंब कबीला,मात-पिता खड़ा लखावेगा।
दुणा ले ले भाड़ा तेरे पे तू कित लावेगा
तू ब्याही की बात देख रहया हथी टूट गी।।2।।


भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।



जाग ज्या मुसाफिर के तेरी आँख फुट्गी।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


रेल म्ह ते उपर पहोच्या गेट के धोरे। 
यम के दूत घाल दे पेटी पेट के धोरे।
पड्या-पड्या तडपेगा नरक लेट के धोरे।
घाल के नै बेडी ले ज्याँ सेठ के धोरे।
पकड़ा गया जब ते तेरी किस्मत फुट गी।।3।।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


धुर की टिकट कटा ले के तने वापस आणा।
तन के कपड़े तार ले तेरा बदला जा बाणा।
ना टेसन लगे रस्ते में तने 10वे प जाणा।
लख्मीचंद भी पावे आगे सुण आंनंद से गाणा।
मांगे राम प्रेम का प्याला मीरा घुट गी।।4।।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।



जाग ज्या मुसाफिर के तेरी आँख फुट्गी।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।








लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पान्ची वाले।



साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813610612

ईमेल-sahilkshk6@gmail.com







Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

जैसा की हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं कि कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम सांगी जितने संगीत कथानको के बीच में रहे हैं उससे अधिक तो कथानको से बहार रहे।उन्होंने सेकड़ो की संख्या में उपदेशात्मक,राष्ट्रीय चेतना,भक्ति भजन, समसामयिक घटना से सम्बन्धित भजनों एवं रागनियो की रचना की है जिस का विस्तृत वर्णन समसामयिक चित्रण एवं राष्ट्रीय चेतना के अंतर्गत  किया गया है।कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम जी ने हरयाणवी संगीत पर एक रागनी लिखी थी जिसे देखे जाने पर ही संगीत का इतिहास पता चल जाता है -
हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


1 ढोलकिया एक सारंगिया अड़े रहे थे।
एक जनाना एक मर्दाना दो खड़े रहे थे।
15-16  कुंगर जड़्के खड़े रहे थे।
गली अर गितवाडा के म्ह बड़े रहे थे।
सब ते पहलम या चतराई किशनलाल की।।1।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


170 साल बाद फेर दीप चंद होग्या।
साजिन्दे दो बडा  दिए घोड़े का नाच बंद होग्या।
नीचे काला दामण उपर लाल कंद होग्या।
चमोले ने भुलग्ये न्यू न्यारा छंद होग्या।
3 काफिए गाये या बरणी रंगत हाल की।।2।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


हरदेवा,दुलीचंद,चतरू,एक बाजे नाई।
घाघरी ते उनने भी पहरी आंगी छुडवाई।
3 काफिए छोड़ एकहरी रागणी गाई।
उन ते पाछे लख्मीचंद ने डोली बरसाई।
बातां उपर कलम तोड़ ग्या आज काल की।।3।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


 मांगे राम पाण्ची आला मन म्ह कर विचार।
घाघरी के मारे मरगे अनपड़ मूड़ ग्वार।
शीश पे दुपट्टा जम्पर पायां में सलवार।
इब ते आगे देख लियो चोथा चले त्यौहार।
जब छोरा पहरे घाघरी किसी बात कमाल की।।4।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।




लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पान्ची वाले।


साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813610612
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com

Friday 20 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी एक कवि के साथ साथ देश भक्त भी थे।उन्होंने पदे पदे अपने प्यारे भारत की महिमा का गुणगान किया है।देश भक्तो के प्रति उनके ह्रदय में असीम श्रद्धा थी।इसका प्रमाण उनके द्वारा रचित संगीत वीर हकीकत राय और भगत सिंह हैं तथा सैंकड़ो की संख्या में उनकी छुट-पुट रचनाएं देश भक्ति की भावनाओ से ओत-प्रोत हैं।देश को समप्रित वीरो का इन्होने दिल खोलकर गुणगान किया है।पंडित जवाहरलाल नेहरु का शब्द चित्रण देखिये-
राम कहू घनश्याम कहू मैं नेहरु कहू जवाहर तने।
भारत की नैया डोले थी कर दी परले पार तने।।टेक ।।

सब से ऊँचा पद मिलग्या ऋषि-मुनियों की मिली सेज तने।
आजादी के पत्र लिख लिख सब जगह दिए भेज तने।
गाँधी का सुदर्शन चक्र खूब चलाया तेज तने।
अपनी ताकत चतराई से काड दिए अंग्रेज तने।
भारत का बच्चा बच्चा यु मान रहया अवतार तने।।1।।


भारत की नैया डोले थी कर दी परले पार तने।।टेक ।।


भारत की सब कोम जगा दी ज़ोण सी जाति सोवे थी।
तेरी बाता का पता चल्या ना सारी यूरोप ठोह्वे  थी।
तेरा इलाहबाद में जन्म होया,पैरिस कपड़े धोवे  थी।
भारत माता तेरे फिकर मे बैठ एकली रोवे थी।
मोतीलाल के जवाहरलाल धन धन वीर जवाहर तने।।2।।

भारत की नैया डोले थी कर दी परले पार तने।।टेक ।।
मोतीलाल के वीर लाडले तू कृष्ण से भी कम कोन्या।
शांति का हथियार चलाया ऐसा अट्म बम कोन्या।
600 रियासत एक बण दी किसे ने काड्या दम कोन्या।
अंग्रेजा ते न्यू कहदी-के हम कोन्या के तम कोन्या।
लाल किले पे फेर लहरा दिया झंडा चक्रदार तने।।3।।

भारत की नैया डोले थी कर दी परले पार तने।।टेक ।।


गंगा-जमना त्रीवणी पहाड़-समुद्र तने।
कीड़ी-हाथी.सिंह और बकरी,कुता बन्दर एक तने।
गिरजाघर और गुरूद्वारे,मस्जिद-मंदिर एक तने।
ब्राहमण-बणिये,जाट-ईसाई,शेख-कलंदर एक तने।
मांगेराम कह शोर माच गया इसा करया प्रचार तने।।4।।


राम कहू घनश्याम कहू मैं नेहरु कहू जवाहर तने।
भारत की नैया डोले थी कर दी परले पार तने।।टेक ।।


लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम साँगी पान्ची वाले


साहिल कौशिक,
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Thursday 19 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi


आजादी से पूर्व देशवासियों  ने आजादी के बाद जिस भारत की कल्पना की थी,वह सपना अधूरा ही रह गया!यधपि आजादी के बाद देश ने ओधोगिक,विज्ञानिक स्तर पर विकास किया लेकिन इसका लाभ देशवासियों तक नही पहुचा बल्कि मोकाप्रस्त लोगो ने ही अधिक लाभ उठाया !इस समय का चित्रण कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम ने इन छन्दों में किया है-
बड़े बड़े घर घाल दिए इस मार काट खटकाणी ने!
उचे नीचे क्यार बणा दिए इस्तेमाल कहाणी ने।।टेक।।
  नेहरु और महात्मा गांधी गंगा जी में ज्यो बोगे।
  कानूनी पुस्तक ठाई अंग्रेज राज ते मुह धोगे!
  साडे 600 राजा थे जो देख कर्म ने छो होगे।
  हट के कर्म दिखा दिया बेदखल हो सोगे।
  इब राजा हांडे दूध बेचता होटल खोल्या राणी ने।।1।।


उचे नीचे क्यार बणा दिए इस्तेमाल कहाणी ने।।टेक।।
वो भी दिन याद म्हारे लन्दन में पंचायत हुई।
15 अगस्त 1947 आठम आली रात हुई।
अंग्रेज राज ते काड दिए इसी भारत में आ औकात हुई।
अंग्रेजा के पूरी जचगी किसी कसूती बात हुई।
56 मुल्क आजाद करे तेरी हिंद सुरीली बाणी ने।।2।।


उचे नीचे क्यार बणा दिए इस्तेमाल कहाणी ने।।टेक।।
वोट्म सिस्टम चला के बड्डा के सिर फसा दिए।
जो अक्लमंद माणस थे भाई,वो नीलोखेडी बसा दिए।
जड़े दिन में गादड़ बोल्या करते गैस और बिजली खीचा दिए।
जड़े भुत तिसाये मरया करते थे बागड़ में गंडे चुसा दिए।
डाड-भदोड़ टमाटर लावे यू खादर खो दिया पानी ने।।3।।


उचे नीचे क्यार बणा दिए इस्तेमाल कहाणी ने।।टेक।।

जिस के सब तरियां आखानन्दी थे सब तरियां ते तंग होगे।
जो भूखे मरते फिरयाँ करे थे सब तरियां आनंद होगे।
राम राज और आई आजादी भारत में नये रंग होगे।
दुनियां के मंह गावण आले एक लख्मीचंद होगे।
मांगेराम भी देख रह्या इस समो आवणी जाणी ने।।4।।

उचे नीचे क्यार बणा दिए इस्तेमाल कहाणी ने।।टेक।।



बड़े बड़े घर घाल दिए इस मार काट खटकाणी ने!
उचे नीचे क्यार बणा दिए इस्तेमाल कहाणी ने।।टेक।।

लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम पान्ची वाले




साहिल कौशिक
मोबाइल-0919813610612
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Friday 13 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम जी ने शिव जी का ब्याह का सांग बनाया था जिसमे पार्वती जी के बचपन से लेकर विवाह तक का विवरण किया हुआ है तो मैं उनके सांग में से 1 रागनी लिख रहा हूँ!बात उस समय की जब ब्राह्मण और नाई शिव जी के पास पार्वती जी का रिश्ता लेके पहुचते हैं तो शिव जी उन्हें क्या कहते हैं-

वा राजा की राज दुलारी मैं सिर्फ लंगोटे आला सूं,
भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुण्डी सोटे आला सूं-टेक 

1.उड़े 100-100 दासी टहल करे आड़े 1 भी दासी दास नही,
  वा शाल दुशाले ओढ्न आली मेरे  काम्बल तक पास भी पास नही,
  क्या के सहारे जी लावेगी आड़े शतरंज चोपड़ तास नही,
  वा बागां की कोयल सै आड़े बर्फ पड़े हरी घास नही,

     मेरा एक कमंडल एक कटोरा मैं फूटे लोटे आला सूं,,
                                                                        भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुण्डी सोटे आला सूं-टेक 

2.वा पालकिया में सैर करे मैं बिना सवारी रहया करूं,
   100-100 माल उढावन आली मैं पेट पुजारी रहया करूं,
   उसने घर बर जर चाहिए मैं सदा फरारी रहया करूं,
  लगा समाधि तुरिया पद की अटल अटारी रहया करूं,

    वा साहूकार की बेटी से मैं निर्धन टोटे आला सूं,,,
    भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुण्डी सोटे आला सूं-टेक 

3.100-100 सर्प पड़े रैं गल में नाग देख क डर ज्यागी,
   पंच धुणा में तप करया करूं  आग  देख क डर ज्यागी,
   राख घोल के पीया करूं मेरा भाग देख क डर ज्यागी,
   मैं अवधूत दर्शनी बाबा मेरा राग देख क डर ज्यागी,

उसने जुल्फां आला ब्न्न्ड़ा चहिये मैं लांबे चोटे आला सूं,
 भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुण्डी सोटे आला सूं-टेक 

4.किसे राजा संग शादी कर दो इसा मेल मिलाणा ठीक नही,
   जिसकी दोनू धार हो पैनी इसा सैल चलाणा ठीक नही,
    सुल्फा गाँजा पीया करूं तेल पिलाणा ठीक नही,
   जुणसा खेल खिलाणा चाहो इसा खेल खिलाणा ठीक नही,

कहे मांगे राम वा बोझ मरेगी मैं जभर बरोटे आला सूं,,,,,,,,,,,
 भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुण्डी सोटे आला सूं-टेक 


वा राजा की राज दुलारी मैं सिर्फ लंगोटे आला सूं,
भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुण्डी सोटे आला सूं-टेक



लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पाणची वाले!




साहिल कौशिक,
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com
मोब-+919813610612

Thursday 12 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi


कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम जी ने देश के जवानों में जोश लाने के लिए अनेक सांग और रागनियाँ बनाई जिनमे से भगत सिंह के सांग में से एक रागनी उस समय की जब भगत सिंह की माँ उसे जेल में मिलने जाती है और अपने बेटे का होसला बड़ाने  के लिए क्या कहती है और कवि ने लिख दिया-
अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा उमर जवान में,
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक

1.हिन्द्वासी ढंग नया करेंगे,
   बड़ाई तेरी करया करेंगे,
   म्ने शेर की माँ कय्हा करेंगे हिंदुस्तान में,


भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक
अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा उमर जवान में,
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक
                                                                                    भगत सिंह जी की माता विद्यावती
2.सारे के तेरे गीत सुनुगी,
   कदे ना कदे तेरी माँ जरूर बनूंगी,
   अगले जन्म में फेर ज्णुगी इसी संतान ने,



भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक


अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा उमर जवान में,
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक


3.इसा एक घोरक धन्धा बण दे,
  किला एक आजादी का चीण दे,
  तेरे कैसा पूत जण दे इसी कोण  जिहान में,



भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक

अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा उमर जवान में,
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक


4.मांगे राम गुरु का शरणा,
   मर के  नाम जगत में करणा,
   एक दिन होगा सब ने मरणा सूर्ति ला भगवान में,



अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा उमर जवान में,
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक



अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा उमर जवान में,
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेक

लेखक -कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम जी पाण्ची वाले



साहिल कौशिक,
इमेल-sahilkshk6@gmail.com
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