Friday 23 November 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi


जो सतगुरु की निंदा करै उस प्रणाली म्ह नेह !
                                                          कदे ना पापी हर भजै कदे नहीं जस ले !
                                                       खड्या डरावा खेत म्ह खावै ना खावण दे !
                                                   कहै मांगेराम इसे माणस नै तै काग कुते खां !!


Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi


बहुत जल्द पंडित मांगेराम जी की जीवनी जो थोड़े और रोचक पंक्तियों में आपके सामने ला रहा हूँ !मैं आशा करता हूँ आप भी उसे पसंद करोगे !
धन्यवाद !
साहिल शर्मा पौत्र श्री शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी 
पंडित मांगेराम जी से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए आप इस नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हो 
+919813610612
Very soon a short and interesting biography of Pandit ji Mangeram'm bringing in rows in front of you, I hope you'll like it too!
Thank you!
Sahil Sharma  grandson of Shiromani Kavi Pandit Mange Ram 
Pandit  Mangeram ji  attached to any information you can contact us on the number
  +919813610612

Thursday 15 November 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित भेंट ............

तेरे भवन म्ह खड़े पुजारी,खड़े पुजारी,री,री,री,री ज्वाला री,
री,री ज्वाला री,मेरे मन म्ह,मन म्ह,मेरे मन म्ह बसी है तू !!टेक!!

दुर्गे,ब्रिजिया,काली,विजिया नाम गिणाऊं तेरे,
कमोढ़ा,चंडिका,क्रष्णा महादेवी जगह-जगह पै डेरे,
सदा शेर की तेरी सवारी,तेरी सवारी,री,री,री,री ज्वाला री !!1!!
री,री ज्वाला री,मेरे मन म्ह,मन म्ह,मेरे मन म्ह बसी है तू !!टेक!!

ब्रहमा,विष्णु,शिवजी रच दिए जगमग जोत सवाई,
चार वेद तनै साकसी कहते सृष्टि  तनै रचाई,
रचा दी तनै दुनिया सारी,दुनिया सारी री,री,री,री ज्वाला री !!2!!
री,री ज्वाला री,मेरे मन म्ह,मन म्ह,मेरे मन म्ह बसी है तू !!टेक!!

भामासुर अभिमानी राजा कोन्या रोकी कफल जड़े,
कफल तोड़ कै कैद  छुटाली देखैं थे सब लोग खड़े,
बड़ी किले म्ह दे किलकारी,दे किलकारी री,री,री,री ज्वाला री !!3!!
री,री ज्वाला री,मेरे मन म्ह,मन म्ह,मेरे मन म्ह बसी है तू !!टेक!!

मवासीनाथ,मानसिंह भी तेरे शरण म्ह खड़े रहे,
मांगेराम गुरु लख्मीचंद तेरे चरण म्ह पड़े रहे,
ज्ञान के कारण बणे भिखारी,बणे भिखारी री,री,री,री ज्वाला री !!4!!
री,री ज्वाला री,मेरे मन म्ह,मन म्ह,मेरे मन म्ह बसी है तू !!टेक!!


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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग :क्रष्ण-सुदामा"नामक सांग में से ये रागनी ली गयी है 
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा  सूं !!टेक!!

क्यूं बातां की करै सफाई,
क्रष्ण लाग्या करण अंघाई,
भाई तू छिकरया सै धनमाल तै,के मैं ठावण जोग्गा सूं !!1!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा  सूं !!टेक!!

हम छ:माणस विप्त भरैं,
बतादे जतन कौनसा करैं,
चाहें घरां  देखले चाल कै,के मैं आवण जोग्गा सूं !!2!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा  सूं !!टेक!!

मैं भूखा मरता कुटुंब समेत,
कुछ कर मेरे बालाकां का चेत,
मेरे रेत लाग् रया खाल कै,भाई मैं ताह्वण जोग्गा सूं !!3!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा  सूं !!टेक!!

लख्मीचंद भज रहे हरि,
मांगेराम कै पक्की जरी,
दुनिया भरी सुरताल कै,के मैं गावण जोग्गा सूं !!4!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा  सूं !!टेक!!





Sunday 11 November 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi


शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग :क्रष्ण-सुदामा"नामक सांग में से ये रागनी ली गयी है !

पांच,सात,दस,बीस म्ह गेड़ा मारिए !
भाभी नै दिए राम-राम,बच्चों नै पुचकारिये !!टेक!!

जो कुछ मेरे घर म्ह सै सब भीतर बाहर तेरा !
त्रिलोकी का नाथ करेगा बेड़ा पार तेरा !
मैं बालकपण का यार तेरा,मत दिल तै तारिये !!1!!
भाभी नै दिए राम-राम,बच्चों नै पुचकारिये !!टेक!!

प्यारे मिलैं उजाड़ म्ह जब पेटे भरया करैं !
सत पुरुषां की नाव भवंर तै आपे तिरया करैं !
त्रिलोकी के नाथ करया करैं,बख्त बिचारिये !!2!!
भाभी नै दिए राम-राम,बच्चों नै पुचकारिये !!टेक!!

तीन रोज तक रंग महल म्ह खूब करे ठठ्ठे !
महादेव नै बेटे तेरै चार दिए कट्ठे !
कुर्ता टोपी और दुपट्ट,खूब सिंगारिये !!3!!
भाभी नै दिए राम-राम,बच्चों नै पुचकारिये !!टेक!!

कहै मांगेराम इस दुनिया म्ह खोट्टा घरवासा !
24 घण्टे फ़िक्र करें जा आनन्द ना माशा !
काम,क्रोध,मद,लोभ की आशा,तू मतन्या धारिये !!4!!
भाभी नै दिए राम-राम,बच्चों नै पुचकारिये !!टेक!!

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Monday 5 November 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग "क्रष्ण-सुदामा"में से ये रागनी ली गयी है !

कौण कड़े का कौण सै तेरा बालकपण का यार !
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!

देख-देख गई दहल मैं !
म्हारे  बालक डर ज्यां  महल म्ह !
इसनै करदे घर तै बाहर !!1!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!

ना तेरे चरण का दास सै !
य़ू बामण कोन्या नाश सै !
इसनै करया होली कोड त्यौहार !!2!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!

वस्त्र हीन सभा का चोर सै !
इसकै कांधे लुटिया डोर सै !
किसी पागल-सी उनिहार !!3!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!

मानसिंह भज राम नै !
गुरु लख्मीचंद के सामने,
यो मांगेराम गवार !!4!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!

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Saturday 3 November 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

                 शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी का व्यक्तित्व 
पंडित मांगेराम जी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न कवि थे !वे लोक कवि शिरोमणि अपितु राष्ट्रीय-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत,लोक कल्याण की भावना से सराबोर सदवृतियों में सलिंप्त-स्वस्थ आदर्शवादी समाज के पक्षधर हष्ट-पुष्ट शरीर के मालिक,छ: फुट चार इंच  कद और गौरवर्ण,शरीर दर्शन से दार्शनिक,मस्तिष्क चिंतन से ज्ञानी,ह्रदय से सवेंदनशील तथा सांसारिक द्रष्टि से मस्तमौला व्यक्तित्व के स्वामी थे !
               वे स्वभाव से नर्म,मूढ़ के सम्मुख कठोर,बच्चों के संग बच्चे,जवानों के संग जवान,व्रद्धों के संग वृद्ध और पंचो में पंचायती थे ! सिर पर तुर्रेदार कुल्ले वाला साफा,धोती-कुर्ता,जॉकेट तथा कभी-कभी बंद गले का कोट और उस पर सुसज्जित पिस्तौल उन के व्यक्तित्व को चार चाँद लगाता था !

Tuesday 30 October 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग"क्रष्ण-सुदामा"में से ये रागनी ली गयी है!
जब सुदामा के घर पर अनाज नही रहता है तो सुदामा की पत्नी सुशीला उसे क्या कहती है---

यज्ञ,हवन,तप,दान,करे तै लोग हंसाई होगी !
दो मुटठी ना दाणे घर म्ह कती सफाई होगी !!टेक!!

अगत का सामान करया था,
आत्मा का ज्ञान करया था,
हरिचंद नै दान करया था,कोड तबाई होगी !!1!!
दो मुटठी ना दाणे घर म्ह कती सफाई होगी !!टेक!!

अपणा हिरदा नर्म करे तै,
सबके दिल म्ह भर्म करे तै ,
नल राजा के कर्म करे तै,भौम पराई होगी !!2!!
दो मुटठी ना दाणे घर म्ह कती सफाई होगी !!टेक!!

पंचा म्ह पकड़या पल्ला,
कोन्या करया राम नै भला,
गौतम ऋषि की नार अहल्या,सती लुगाई होगी !!3!!
दो मुटठी ना दाणे घर म्ह कती सफाई होगी !!टेक!!

पांच आदमी तेरे सहारै,
क्यूँ ना साजन बख्त बिचारै,
मांगेराम सांग के बारै,सफल कमाई होगी !!4!!

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Sunday 28 October 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

 शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित सांग"चन्द्रहास "में से ये रागनी ली गयी है !


जब दीवान चन्द्रहास को मारने की साजिश दुबारा करता है और मन्दिर में जल्लादों को बैठा देता है क्योंकि जब चन्द्रहास और विषिया दोनों पूजा करने जायेंगे !वहीं पर चन्द्रहास का सिर धड़ से अलग कर देंगे !पर वहां पर उनसे पहले विषिया का भाई  मदन वहां पहुंच जाता है और जल्लाद उसी को चन्द्रहास समझ कर उसका  कत्ल कर देते हैं जब चन्द्रहास और विषिया मन्दिर में पहुंचते हैं तो विषिया अपने भाई को मरा देख क्या कहती है और पंडित मांगेराम जी ने क्या लिख दिया-


रोऊँ बरसै नैनां तै नीर !
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!


मुख चुमुं,करूं लाड मदन का !
खून सूख ग्य़ा तेरे बदन का !
कौण बंधावै मेरी धीर !!1!!
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!


कौण बाहण के लाड करेगा !
माँ-जाई के कौण भात करेगा !
कौण उढावे दखणी चीर !!2!!
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!


तन म्ह होग्यी कौण बिमारी !
कित लाग्गी तेरै छुरी-कटारी !
कित सी लाग्या तीर  !!3!!
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!


मांगेराम नै ल्याओ बुलाकै !
संजीवनी बूटी ज्यागा पिला कै !
हो ज्यागा अमर शरीर !!4!!

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Friday 26 October 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित साँग "ध्रुव का जन्म(ध्रुव भक्त)"में से ये रागनी  ली गयी है!

वार्ता:जब नारद जी रानी सुनीति  को कहते हैं कि आपकी वंश बेल तब चलेगी जब आप अपने पति की दूसरी शादी करवाओ !इतना कहकर नारद जी महल से चले जाते  हैं!तो रानी सुनीति  राजा उतानपाद से कहती हैं कि आप दूसरी शादी करवा लो तभी हमारी वंश बेल चलेगी पर राजा उतानपाद मना कर देते हैं तो रानी उन्हें  कहती है और पंडित मांगेराम जी ने लिख दिया --------------


नारद के बोल मेरे हृदय समाए हो !!टेक!!

मेरे कहे तै ब्याह करवाले तन की कली खिलैगी !
जब म्हारे अगत बेल चलेगी,माया मिलैगी,
होंज्या मन के चाहे हो !!1!!
नारद के बोल मेरे हृदय समाए हो !!टेक!!

बीर मर्द का मेल बण्या रहै धूर के साथ इसे हों !
त्रिलोकी के नाथ इसे हों,हाथ इसे हों,
जिन तै बाग  लुआए हों !!2!!
नारद के बोल मेरे हृदय समाए हो !!टेक!!

कदे भी ना झूठी जा इन म्हं-ऋषियों की बाणी !
तूं राजा मैं राणी,म्हारी उमर पुराणी,
हम सां खाए कुमाए हो !!3!!
नारद के बोल मेरे हृदय समाए हो !!टेक!!

बेटे बिन मुक्ति ना मिलती चाहे लाख बर्ष तक जी ले !
गुरु लख्मीचंद के छन्द रसीले,गडरे  सै कील्ले .
कोन्या हिलते हीलाए हो !!4!!
नारद के बोल मेरे हृदय समाए हो !!टेक!!

इस रागनी में पंडित मांगेराम जी ने अपने गुरु का ही नाम लिया है !

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Sunday 14 October 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगे राम जी  ने ग्रामीण समाज में फैली हुई कुरुतियाँ जैसे नशे के आदि होना,बड़े बुजुर्गों का अपने परिवार को अपने स्वार्थ के लिए तोडना तथा पति-पत्नी एक छत के नीचे एक दुसरे के प्रति षड्यन्त्र रचना,उनके उपर करारी रचना लिखी है!और सभी को नशा ना करने के लिए प्रार्थना की है वो भी करबद्ध!
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............


बीर-मर्द आपस के मांह धोखा करके करते बात !एक जगहां  रहणा-सहणा काम करै दिन-रात !न्यारी-न्यारी गाँठ सबकी खाणा-पिणा  एक साथ !बाबू बोल्या छोरे सेती लेरया सूं भतेरा माल !मेरी गेल्याँ न्यारा होइए,खूब द्यूंगा लते चाल !फागण म्ह तने घी दे द्यूंगा,छोरे गेल्याँ करिये आळ !छोरा-बहू न्यू बहका लिए,या बूढ़े तेरी शान !!१!!जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............


दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!


बेटी चाहवे माँ की गेल्याँ लुट लेज्याँ सारे घर नै !भाई-भावज दोनों रोवें पीट-पीट अपने सिर नै !पिहिरयाँ पै माळ लेके राजी राखे ब्याहे वर नै !ब्याहा वर तै सुल्फा पीवै,बेच खाई सारी टूम !किसे तै भी बोले कोन्या एकला फिरे जा सूम !आठ जगहां  तै लते जळ रहे टोटे नै मचाई धूम !कासण बेच कै नै खा लिए,फिर चा की करी दुकान !!२!!जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!


बीडी-चाए,पान बेचे सबते बोले करके प्यार !महीने म्ह दिवाला लिकड़ा उसने पीगे मिन्त्र-यार !पिसे मांग्ये जूत बाज्या सारी बाकी रही  उधार !महीने भीतर घर नै आग्या एक लिया ङांडा मोल !२० बीघे धरती बोई,बीज गेरया तोल तोल !सुल्फा पीकै पड़ के सोग्या,धंधा लिया चोरां नै खोल !गधा तलक भी बहा लिए,फेर पागल कहै जहान !!३!!जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!


ब्याही बीर घर नै छोड़ी,बोहरियाँ का टोह्या मठ !भगमा बाणा कान पड़ाय़े,एक कीकर का ठाया लठ !दिए माई-दिए माई,गोरै जा लगाया भठ  !बालकपण म्ह बिगड़ होग्या,सोने का बणाया रांग !लख्मीचंद नै देख देख इस दुनिया का बणाया सांग !मांगेराम हाथ जोड़े छोड़ दियो नै सुल्फा भांग !गंगा जी से नहा लिए,म्हारा बसियो हिंदुस्तान!!४!!जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित "क्रष्ण-सुदामा"नामक सांग में से एक रागनी जो उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पिस्ता देवी जी की इच्छा के अनुसार आपके सामने प्रस्तुत की जा रही है!

जब सुदामा अपनी गरीबी को दूर करने के लिए श्री क्रष्ण जी के पास पहुंच जाते है परन्तु उनके मित्र होने के कारण वे अपनी दशा को प्रदर्शित नही कर पाते और शर्म के कारण वो अपने मन के भाव प्रकट नही कर पाते!पर श्री क्रष्ण जी को पता था और वे उनको रात को अपने महल में सुला कर उनके लिए एक नया महल बनवा देते है और वे सुदामा को नही बताते है!                         जब सुदामा वापिस अपने घर आता है तो अपनी झोपडी की जगह उस महल को देख कर दंग रह जाता है और सुशीला पर भड़क जाता है तो सुशीला बांदी से क्या कहती और पंडित मांगेराम जी ने उनकी बात इस प्रकार प्रकट की-मेरा बाहर खडया भरतार,हुए दिन चार दिखाई  देग्या !मैं करया करूं थी शर्म सच्चाई देग्या !!टेक!!


मैं देख्या करती बाट,दिया फंद काट क्रष्ण काले नै !चीणा दिए ऊँचे महल बृज आले नै !पाट गया सै तोल,गया सै खोल कर्म ताले नै !मैं ओट्या करती रोज सर्द पाले नै !दिए दुशाले बीस,गदेले तीस,रजाई देग्या !!१!!मैं करया करूं थी शर्म सच्चाई देग्या !!टेक!!


आनन्द होग्या आज,भतेरा नाज घरां कोठया म्ह !आटा बेसन चुन धरया कोठया म्ह !घी शक्कर गुड़ खांड,दोहरे टांड भरया कोठया म्ह !मिर्च तेल और नूण निरा कोठया म्ह !कदे मिलै नही था टूक,मेट दी भूख,मिठाई देग्या !!२!!मैं करया करूं थी शर्म सच्चाई देग्या !!टेक!!


चाँदी सोने के ढेर,नही सै छेर भरी अलमारी !मैं सब ढालां की टूम पहरल्यूं सारी !हीरे,पन्ने,मणी,महल म्ह कणी भतेरी आरयी !बैठे बीस मुनीम भरैं सै डायरी !त्रिलोकी भगवान,करड़ा धनवान,कमाई देग्या !!३!!मैं करया करूं थी शर्म सच्चाई देग्या !!टेक!!


गुरु लख्मीचंद की गेल,मिला कै मेल गुजारा होग्या !चरणा के मांह ध्यान हमारा होग्या !मांगेराम,सुबह और शाम नजारा होग्या !क्रष्ण जी का दर्श दुबारा होग्या !मेरे कर्म के भोग,काट दिए रोग,दवाई देग्या !!४!!मैं करया करूं थी शर्म सच्चाई देग्या !!टेक!!
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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi


शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने १५ अगस्त  १९४७ के बाद राजनीति का एक बहुत बुरा पक्ष देखा!सत्ता के लिए लीडरों की भाग दौड़ शुरू हो गयी थी !हर कोई नेता बनने के चक्कर में रहता !वे सभी नये लीडर,श्री भगत सिंह,आजाद,लक्ष्मीबाई,सुभाष चन्द्र बोस,महात्मा गाँधी,पंडित जवाहरलाल नेहरु के बलिदानों को भूल कर सत्ता की  अंधी दौड़ में शामिल हो गये !हर कोई नेता बनने के चक्कर में रहता था !
शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने उन नेताओ का वर्णन निम्न प्रकार से किया है-

कोए कोमनिस्ट,कोए सोशलिस्ट,कोए लीग जमीदारा सै !रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


घर म्ह जूत लुगाई मारै,देखै बाट लीडरी की !बीस-तीस की गिणती कोन्या,गेल्याँ साठ लीडरी की !जेल म्ह जाकै करै कुर्बानी,ख़ुलरी हाट लीडरी की !ठग,डाकू,और चोर,लुटेरे,मारै डाट लीडरी की !डूब कै मर जाओ औ गद्दारों थारा कित का भाई चारा सै !!१!!रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


जवाहरलाल श्री गाँधी जी की,गेल बणा चाहवें सैं !कांटे कितने पैने कोन्या सेल बणा चाहवे सैं !चौकीदार भी मानै कोन्या पटेल बणा चाहवे सैं !जितने लंगड़े,लूले सारे रेल बणा चाहवे सैं !असम्बली की बात करै घरां कर्जे के 1800 !!२!!

रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


गाँधी जी नै न्यू सोची दिल ठंडे तै मानेगें !जवाहरलाल नै न्यू सोची कुछ झंडे तै मानेगें !अपणे भाई अपणी जनता प्रोपगंडे तै मानेगें !रिश्वत खोरी,ब्लैक करणीयां सब डंडे तै मानेगें !सोच समझ कै देख लियो यू राजपाट थारा सै !!३!!रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


लन्दन आले आच्छे लिकड़े देकै राज अलग होगे !600 रियासत भारत के म्ह देकै ताज अलग होगे !गेल्याँ रुक्के मारणियां थे सब दगा बाज अलग होगे !घर की ढोलक,घर का बाजा लेकै साज अलग होगे !मांगेराम थारा सुणता कोन्या फुटा होड़ नगारा सै !!रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!
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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने "क्रष्ण-सुदामा"नामक सांग बनाया था तो उस सांग की में १ रागनी और आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ !

रागनी तब की है जब सुदामा श्री क्रष्ण जी के पास पहुच जाते है तो अपने बचपन के मित्र को देखकर श्री क्रष्ण जी काफी खुश हो जाते हैं और अपनी पत्नी रुकमणी से क्या कहते है और पंडित जी ने लिख दिया -


पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!


खड़ी-खड़ी के देखै मेरे मांह नै !
मैं ब्राह्मण की पूजा करूं छा  नै !
पाँ नै ठादे रै रुक्मण,कांटे काढूँगा दो-चार !!१!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!


मेरा इस ब्राहमण में हित सै !
इस में बालकपण तै चित सै !
कित सै राधे रै रुक्मण,पहर के मालसरी का हार !!२!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!


मन से बुरे भले की दब नै !
तू भजा कर सच्चे रब नै !
सबनै ताहदे रै रुक्मण,रणवांसा तै बाहर !!३!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!


न्यू सोची गुरु लख्मीचंद नै !
देंगे काट द्ल्द्र फंद नै !
छन्द नै गा दे रै रुक्मण,मीठा सारंगी का तार !!४!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!


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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित सांग "भगत सिंह"में से ये रागनी ली गयी है !

जब भगत सिंह जेल के अंदर होता है और उसकी माँ उससे मिलने आती है और अपने बेटे का होंसला बढ़ाती है कि तेरे जैसी कोई भी इस दुनिया में सन्तान पैदा नही कर सकता!बेटा तुने तो इतना महान काम किया है कि सारी जगह इस भारत में तेरी प्रशंसा सुनूंगी तो अपने बेटे को होंश्ला बढ़ाती हुए क्या कहती-अरे 100-100 पड़े मुसीबत बेटा मर्द जवान में,भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान में!-टेकहिन्द्वासी ढंग नया करेंगे,बड़ाई तेरी करया करेंगे,

मन्ने  शेर की माँ कय्हा करेंगे हिंदुस्तान म्ह!!१!!
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान म्ह !!टेक!!

सारे के तेरे गीत सुनुगी,कदे ना कदे तेरी माँ जरूर बनूंगी,अगले जन्म में फेर ज्णुगी इसी संतान ने!!२!!भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान म्ह !!टेक!!

इसा एक घोरक धन्धा बण दे,किला एक आजादी का चीण दे,तेरे कैसा पूत जण दे इसी कोण जिहान म्ह !!३!!
भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान म्ह !!टेक!!


मांगेराम गुरु का शरणा,मर के नाम जगत में करणा,एक दिन होगा सब ने मरणा सूर्ति ला भगवान म्ह!!४!!भगत सिंह कदे जी घभरा ज्या बंद मकान म्ह !!टेक!!copyright 2012(c)


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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित सांगीत "ध्रुव भगत"में से ये रागनी ली गयी है !

जब राजा उतानपाद की दूसरी शादी हो जाती है तो राजा अपनी रानियों को (जो कि दोनों बहने थी )लड़ते हुए देख कर क्या कहने लगते है और पंडित जी ने लिख दिया-
फाँसी भी आच्छी,सूली भी आच्छी !
घर म्हं ना आच्छी लुगाई दो !!टेक!!


खसम करें जा चौकीदारा गेल सिपाही दो !
कान पकड़ कै मुल्जिम करले !
डंडे बजावैं,करदे सिर पै पिटाई दो !!१!!
घर म्हं ना आच्छी लुगाई दो !!टेक!!


ये माणस नै पार तारदे शर्म सच्चाई दो !
चौबीस घण्टे खांडा बाजै,
टूक खाण दे कोन्या,घर म्हं जमाई दो !!२!!
घर म्हं ना आच्छी लुगाई दो !!टेक!!


बुढे बारै ब्याह करवावै मिलै बुराई दो !
घर के अंदर हत्था बणज्या,
गरीब गऊ के सिर पै चढज्यां,कसाई दो !!३!!
घर म्हं ना आच्छी लुगाई दो !!टेक!!


इसी ए सूली इसी ए फाँसी ब्याह सगाई दो !
मांगेराम दूध की जड़ म्हं सारा,
खिडांदे बड़ज्या घर म्हं,बिलाई दो !!४!!


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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

                       कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी धर्माथ सेवाश्रम समिति(रजि.)                                               registration date:24 march 2009मुख्य कार्यालय                            गाँव व् डाकखाना:पाँची जाटान                                                 तहसील:गन्नौर,जिला:सोनीपत                                                 पिनकोड:131101
पंजीक्रत कार्यालय:                         प्रेम कमल भवन,                                                   बैंक कालोनी,                                                   रोहतक रोड,भिवानी|                                                   पिनकोड:127021
                 हमारी समिति का सदस्य  बनने के लिए आप इन नम्बर पर फ़ोन कर  सकते है-                                                +918607444910 Sahil Sharma                                                                          +919802703538      end_of_the_skype_highlighting Navrattan Sharma    our email address:shiromanikavipanditmangeram@gmail.comand www.panditmangeramsangi.blogspot.com and also facebook,twitter..



Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग "वीर विक्रमा जीत"में से ये रागनी ली गयी है !हंस बतलाते है कि महाराज हम आपकी बड़ाई करे वगैर रह नही सके!जब आपकी तारीफ़ करते जा रहे थे तो इंद्र महाराज नाराज हो गये और हमारी  हंसणी छीन ली तथा कहा कि अपने बिश्वेबीस से कहो कि तुम्हारी हंसणी छुड़ा ले जायेगा !राजा वीर विक्रमा जीत कहतें है कि तुम यहीं ठहरो और मैं हंसणी छुड़ाने के लिए जाता हूँ और क्या कहते है तथा पंडित जी ने क्या दर्शा दिया -(वास्तव में ये रागनी हम पंडित मांगेराम जी के लिए मानते हैं क्योंकि इस रागनी से उनके द्वारा किये हुए कार्य  प्रदर्शित होते हैं!उनका व्यवहार ऐसा ही था और हमेशा नेक काम में वे आगे रहते थे और दादाजी ने कहा भी है-

                                                   भुंडे कामां धोरै लोगो मांगेराम नही सै
                                                           साहिल कौशिक पौत्र श्री पंडित मांगेराम
कह कै उल्टा नहीं फिरूंगा,सदा आगे नै कदम धरुंगा !
गैरां के दुःख दूर करूंगा,जीऊंगा इतनै !!टेक!!
चाहे कोए मिलियो मूढ़ अनाड़ी !
उसकी भी सोचूं ना बात उगाड़ी !
पतली माड़ी मोटी द्यूंगा,काम्बल  एक लंगोटी द्यूंगा,
भूख्या ने दो रोटी द्यूंगा,जीऊंगा इतनै!!1!!
गैरां के दुःख दूर करूंगा,जीऊंगा इतनै !!टेक!!
तुम हंस बणे बिना पर के !
बिगड़ी म्ह कौण गैर कौण घर के !
हर के गुण नै गाया करूंगा,हरिद्वार,गढ़ जाया करूंगा,
गँगा जी म्ह नहाया करूंगा,जीऊंगा इतनै !!2!!
गैरां के दुःख दूर करूंगा,जीऊंगा इतनै !!टेक!!
धर्म की ठा राखी शमशीर !
सत की या खेंची एक लकीर !
गैर बीर का भाती हूँगा,ठाडे का ना साथी हूँगा,
हिणे का हिमाती हूँगा,जीऊंगा इतनै !!3!!
गैरां के दुःख दूर करूंगा,जीऊंगा इतनै !!टेक!!
तुमने देख हुआ घणा प्रसन्न !
लग्या आँखों तै पाणी बरसण !
मैं क्रष्ण कैसा नृत करूंगा,मन की सोची शर्त करूंगा,
पणवासी का व्रत करूंगा,जीऊंगा इतनै !!4!!
गैरां के दुःख दूर करूंगा,जीऊंगा इतनै !!टेक!!
मांगेराम आत्मा नै मारूं !
सदा आगे की बात बिचारुं !
सुल्फे,दारुं में झूलूं ना,खाकै  फीम घणा टुलूं ना,
गुरु लखमीचंद का गुण भूलूं ना,जीऊंगा इतनै!!5!!
गैरां के दुःख दूर करूंगा,जीऊंगा इतनै !!टेक!!

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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित सांग"पिंगला भरथरी "में से ये रागनी  ली गयी है !

उज्जैन शहर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था और शिव की पूजा करते थे !एक  दिन शिव जी उसकी पूजा से खुश हो जाते हैं और उस को एक अमरफल देकर चलें जातें हैं !ब्राह्मण अमरफल को लेकर अपने घर आकर अपनी पत्नी को बताता है,तो उसकी पत्नी कहती है कि अब तो टोटे में बड़ी मुश्किल से  दिन काट रहे हैं !हम अमर होकर क्या करेंगे और क्या कहती है -लाख बरस तक माणस जीया टोटे के मांह मरें गया !के जीणे म्ह जीया साजन धक्के खाता फिरें गया !!टेक!!टोटे के मांह आदम देह कै और उचाटी हो ज्या सै !


टोटे के मांह माणस का जी सौ-सौ घाटी हो ज्या सै !टोटे के मांह सगे प्यारे की तबियत खाटी हो ज्या सै !टोटे के मांह सब कुणबे के रेह-रेह माटी हो ज्या सै !इस तै आच्छा डूब कै मर ज्या दिन भर मेहनत करें गया!!1!!के जीणे म्ह जीया साजन धक्के खाता फिरें गया !!टेक!!


आदम देह नै जन्म लिया मेरै कमरे बैठक नोहरें हो !लोटण खातर पलंग निवारी रहण नै कमरे दोहरें हो !हीरे लाल कणी मणि मेरै धन माया के बोरें हो !रूपवान,बलवान साजन मेरै पांच-सात छोरें हो !इस तै आच्छा कान पड़ाले ता जिन्दगी दुःख भरें गया !!2!!के जीणे म्ह जीया साजन धक्के खाता फिरें गया !!टेक!!


टोटे आले माणस की कोए आबरो करता ना !जित बैठे उडै गाळ सुणै यो साला कितै मरता ना !टोटे के मांह माणस तै कोए आदमी डरता ना !धन का टोटा भर ज्या सै पर माणस का टोटा भरता ना !इस तै आच्छा डूब कै मर ज्या नीच जात तै डरें गया !!3!!के जीणे म्ह जीया साजन धक्के खाता फिरें गया !!टेक!!


मांगेराम कड़े तक रोऊँ,इस टोटे का औड नही !हीरे पन्ने मोहर अशर्फी किस माणस नै इनकी लोड़ नही !मीहं बरसै जब घर टपकै फेर चीज़ धरण नै ठौड़ नही !कातक लगते सोच खड़ी हो ओढ़ण खातर सोड़ नही !शी शी शी शी करै बिचारा जाड्डे के मांह  ठिरें गया !!4!!के जीणे म्ह जीया साजन धक्के खाता फिरें गया !!टेक!!


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Wednesday 3 October 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी जी ने आने वाले कलयुग के लोगो को को समझाने के लिए रागनी बनाई थी किस तरह लोग पैसे के पीछे भागेंगे और जो आज बिलकुल सही लग रही है तो रागनी देखिये-
                                                    महाभारत के बाद भुल्ग्ये बात मुरारी की|
                                                  पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||

                                                  लोग दिखावा वेद पढ़ें और गल माला गळ री|
                                                    भग माह बाणा चेली राखें किसी आजादी मिल री|
                                                  मन्दिर के म्ह चोड़े  खुल री पोल पुजारी की||१||
                                                    पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||

                                                       दो पैसे के उपर  माणस गंगा जल ठाले|
                                                     पांच साल की छोरी ने वे बूढ़े संग ब्याह्लें|
                                                       कोडी कोडी बेंच के खालें कन्या कुंवारी की||२||
                                                     पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||

                                                       सारी हाणा काम बदी के कदे करे ना नेकी|
                                                         पीं पीं पीं बाजा बाजे एक ढोलक ला टेकी|
                                                         अपने आँख्यां हमने देखी ठगी प्रचारी की||३||
                                                       पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||

                                                        मांगे राम गुरु की सेवा घणा धर के ध्यान करे|
                                                         सोच समझ  के चाल तेरी भली भगवान करें|
                                                       जिसा पुग्गे उस दान कर भक्ति घर बारी की||४||
                                                        पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||
By 
Sahil Kaushik Grandson of Pandit Mange Ram
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Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगे राम जी  ने ग्रामीण समाज में फैली हुई कुरुतियाँ जैसे नशे के आदि होना,बड़े बुजुर्गों का अपने परिवार को अपने स्वार्थ के लिए तोडना तथा पति-पत्नी एक छत के नीचे एक दुसरे के प्रति षड्यन्त्र रचना,उनके उपर करारी रचना लिखी है!और सभी को नशा ना करने के लिए प्रार्थना की है वो भी करबद्ध!

दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............

बीर-मर्द आपस के मांह धोखा करके करते बात !
एक जगहां  रहणा-सहणा काम करै दिन-रात !
न्यारी-न्यारी गाँठ सबकी खाणा-पिणा  एक साथ !
बाबू बोल्या छोरे सेती लेरया सूं भतेरा माल !
मेरी गेल्याँ न्यारा होइए,खूब द्यूंगा लते चाल !
फागण म्ह तने घी दे द्यूंगा,छोरे गेल्याँ करिये आळ !
छोरा-बहू न्यू बहका लिए,या बूढ़े तेरी शान !!१!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

बेटी चाहवे माँ की गेल्याँ लुट लेज्याँ सारे घर नै !
भाई-भावज दोनों रोवें पीट-पीट अपने सिर नै !
पिहिरयाँ पै माळ लेके राजी राखे ब्याहे वर नै !
ब्याहा वर तै सुल्फा पीवै,बेच खाई सारी टूम !
किसे तै भी बोले कोन्या एकला फिरे जा सूम !
आठ जगहां  तै लते जळ रहे टोटे नै मचाई धूम !
कासण बेच कै नै खा लिए,फिर चा की करी दुकान !!२!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

बीडी-चाए,पान बेचे सबते बोले करके प्यार !
महीने म्ह दिवाला लिकड़ा उसने पीगे मिन्त्र-यार !
पिसे मांग्ये जूत बाज्या सारी बाकी रही  उधार !
महीने भीतर घर नै आग्या एक लिया ङांडा मोल !
२० बीघे धरती बोई,बीज गेरया तोल तोल !
सुल्फा पीकै पड़ के सोग्या,धंधा लिया चोरां नै खोल !
गधा तलक भी बहा लिए,फेर पागल कहै जहान !!३!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

                             ब्याही बीर घर नै छोड़ी,बोहरियाँ का टोह्या मठ !
                              भगमा बाणा कान पड़ाय़े,एक कीकर का ठाया लठ !
                                    दिए माई-दिए माई,गोरै जा लगाया भठ  !
                               बालकपण म्ह बिगड़ होग्या,सोने का बणाया रांग !
                            लख्मीचंद नै देख देख इस दुनिया का बणाया सांग !
                                 मांगेराम हाथ जोड़े छोड़ दियो नै सुल्फा भांग !
                               गंगा जी से नहा लिए,म्हारा बसियो हिंदुस्तान!!४!!
                          जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
                            दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!



Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने १५ अगस्त १९४७ के बाद राजनीति का एक बहुत बुरा पक्ष देखा!सत्ता के लिए लीडरों की भाग दौड़ शुरू हो गयी थी !हर कोई नेता बनने के चक्कर में रहता !वे सभी नये लीडर,श्री भगत सिंह,आजाद,लक्ष्मीबाई,सुभाष चन्द्र बोस,महात्मा गाँधी,पंडित जवाहरलाल नेहरु के बलिदानों को भूल कर सत्ता की अंधी दौड़ में शामिल हो गये !हर कोई नेता बनने के चक्कर में रहता था !
शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने उन नेताओ का वर्णन निम्न प्रकार से किया है-
कोए कोमनिस्ट,कोए सोशलिस्ट,कोए लीग जमीदारा सै !
रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!

घर म्ह जूत लुगाई मारै,देखै बाट लीडरी की !
बीस-तीस की गिणती कोन्या,गेल्याँ साठ लीडरी की !
जेल म्ह जाकै करै कुर्बानी,ख़ुलरी हाट लीडरी की !
ठग,डाकू,और चोर,लुटेरे,मारै डाट लीडरी की !
डूब कै मर जाओ औ गद्दारों थारा कित का भाई चारा सै !!१!!
रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!

जवाहरलाल श्री गाँधी जी की,गेल बणा चाहवें सैं !
कांटे कितने पैने कोन्या सेल बणा चाहवे सैं !
चौकीदार भी मानै कोन्या पटेल बणा चाहवे सैं !
जितने लंगड़े,लूले सारे रेल बणा चाहवे सैं !
असम्बली की बात करै घरां कर्जे के 1800 !!२!!
रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!

गाँधी जी नै न्यू सोची दिल ठंडे तै मानेगें !
जवाहरलाल नै न्यू सोची कुछ झंडे तै मानेगें !
अपणे भाई अपणी जनता प्रोपगंडे तै मानेगें !
रिश्वत खोरी,ब्लैक करणीयां सब डंडे तै मानेगें !
सोच समझ कै देख लियो यू राजपाट थारा सै !!३!!
रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!

लन्दन आले आच्छे लिकड़े देकै राज अलग होगे !
600 रियासत भारत के म्ह देकै ताज अलग होगे !
गेल्याँ रुक्के मारणियां थे सब दगा बाज अलग होगे !
घर की ढोलक,घर का बाजा लेकै साज अलग होगे !
मांगेराम थारा सुणता कोन्या फुटा होड़ नगारा सै !!
रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!

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Friday 21 September 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम जी की रागनियाँ ऐसी है कि जो बूढ़े-बुजर्ग आदमी है वे उनकी रागनियों की पंक्तिया आज अपनी देसी हरियाणवी भाषा में मुहावरों की तरह इस्तेमाल करने लगे है जिस में से में कुछ उदाहरण मैं(साहिल कौशिक पौत्र श्री कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम)आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ!आशा है कि ये पंक्तिया अर्थात हरियाणवी मुहावरे आपको भी पसंद आयेंगे क्योंकि ये उनकी रागनियों में से है!
ब्याह तै हो सै बना-बनी का लोग मजे लूटे सै !
बेटी का के धन बाप के पाळी पोषी ब्याह दी !
कहै मांगेराम पार हो ज्यागा नीत राखिये हर में !
देख बिराणी चौपड़ी क्यों ललचावे जी !
गूंगे की माँ समझया करै गूंगे के इशारा नै !
भुंडे कामा धोरै लोगो मांगेराम नही सै !
राजा रुस्से नगरी ले ले,के और देश में राह कोन्या !
वहां धोबी के करै जड़े नगों का गाम !
लेणा एक ना देणे दो दिलदार बणे हांडे सै !
बीर चलत्र सुण राखे तू मर्द चलत्र कर जाणे !
बेटी बहु ठिकाणे आछी बिना ठिकाणे कुछ ना !
कहै मांगेराम पाणची तेरी कांशी हो ज्यागी !
जुनसी मांगेराम कह दे  लोगो सौल़ा आने साची होगी !
इब तेरे कैसे लख्मीचंद हजार बणे हांडे सै !
जड़े भुत तिसाये मरया करैं थे बागड़ में गंडे चूसा दिए !
सबके बसका गाणा कोन्या यो मरग्या देश राम्भ कै !
 साँगी भजनी फिरै गावते इसी कविताई में सौ ल्या दयूं !

धन्यवाद,
साहिल कौशिक,
दूरभाष:+919813610612




Saturday 1 September 2012

Kavi Shirmani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम जी को पहले ही पता था कि कलयुग में क्या किस तरह सभी देवताओं  को भूलकर पैसे,रूपये को जोड़ने के लिए लोग क्या क्या करने को तैयार हो जायेंगे|  और लडकियों का शोषण भी गलत होगा|
तो देखिये पंडित मांगे राम जी ने क्या लिख दिया और कितनी सच्चाई है-
महाभारत के बाद भुल्ग्ये बात मुरारी की|
पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया दारी  की||टेक||


लोग दिखावा वेद पढ़ें और गळ माला घल री|
भगमा बाणा चेली राखें किसी आजादी मिल री|
मंदिर के म्ह चोंडे खुल  री,पोल पुजारी की||१||
पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया दारी  की||टेक||

दो पैसे के उपर दुनिया चोडें  जल ठालें|
पांच बरस  की छोरी  ने ये  बूढ़े के  संग ब्याह्लें |
हड्डी हड्डी  बेंच के खालें,कन्या क्वांरी की||२||
पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया दारी  की||टेक||

सारी हांणा काम बदी के,कदे नही  नेकी |
पीं पीं पीं बाजा राखें एक ढोलक ल्या टेकी|
अपणी आंख्या हम नै देखि ठगी प्रचारी की||३||
पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||

मांगेराम गुरु की सेवा सुबहो-शाम  करे|
सोच समझ कै चालें ज्या तेरी भली भगवान करें|
जिसा पुगै उसा दान करे भक्ति घरबारी की||४||
पैसे के म्ह मोहब्बत रहगी दुनिया सारी की||टेक||




Sahil Kaushik,
+919813610612
email:Sahilkshk6@gmail.com