शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग "क्रष्ण-सुदामा"में से ये रागनी ली गयी है !
कौण कड़े का कौण सै तेरा बालकपण का यार !
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!
देख-देख गई दहल मैं !
म्हारे बालक डर ज्यां महल म्ह !
इसनै करदे घर तै बाहर !!1!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!
ना तेरे चरण का दास सै !
य़ू बामण कोन्या नाश सै !
इसनै करया होली कोड त्यौहार !!2!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!
वस्त्र हीन सभा का चोर सै !
इसकै कांधे लुटिया डोर सै !
किसी पागल-सी उनिहार !!3!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!
मानसिंह भज राम नै !
गुरु लख्मीचंद के सामने,
यो मांगेराम गवार !!4!!
मनैं राम की सूहं क्रष्ण मुरार !!टेक!!
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