शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम द्वारा रचित सांग :क्रष्ण-सुदामा"नामक सांग में से ये रागनी ली गयी है
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा सूं !!टेक!!
क्यूं बातां की करै सफाई,
क्रष्ण लाग्या करण अंघाई,
भाई तू छिकरया सै धनमाल तै,के मैं ठावण जोग्गा सूं !!1!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा सूं !!टेक!!
हम छ:माणस विप्त भरैं,
बतादे जतन कौनसा करैं,
चाहें घरां देखले चाल कै,के मैं आवण जोग्गा सूं !!2!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा सूं !!टेक!!
मैं भूखा मरता कुटुंब समेत,
कुछ कर मेरे बालाकां का चेत,
मेरे रेत लाग् रया खाल कै,भाई मैं ताह्वण जोग्गा सूं !!3!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा सूं !!टेक!!
लख्मीचंद भज रहे हरि,
मांगेराम कै पक्की जरी,
दुनिया भरी सुरताल कै,के मैं गावण जोग्गा सूं !!4!!
के हुया करै कंगाल कै,के मैं ल्यावण जोग्गा सूं !!टेक!!
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