Wednesday 3 October 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi

शिरोमणि कवि पंडित मांगे राम जी  ने ग्रामीण समाज में फैली हुई कुरुतियाँ जैसे नशे के आदि होना,बड़े बुजुर्गों का अपने परिवार को अपने स्वार्थ के लिए तोडना तथा पति-पत्नी एक छत के नीचे एक दुसरे के प्रति षड्यन्त्र रचना,उनके उपर करारी रचना लिखी है!और सभी को नशा ना करने के लिए प्रार्थना की है वो भी करबद्ध!

दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............

बीर-मर्द आपस के मांह धोखा करके करते बात !
एक जगहां  रहणा-सहणा काम करै दिन-रात !
न्यारी-न्यारी गाँठ सबकी खाणा-पिणा  एक साथ !
बाबू बोल्या छोरे सेती लेरया सूं भतेरा माल !
मेरी गेल्याँ न्यारा होइए,खूब द्यूंगा लते चाल !
फागण म्ह तने घी दे द्यूंगा,छोरे गेल्याँ करिये आळ !
छोरा-बहू न्यू बहका लिए,या बूढ़े तेरी शान !!१!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

बेटी चाहवे माँ की गेल्याँ लुट लेज्याँ सारे घर नै !
भाई-भावज दोनों रोवें पीट-पीट अपने सिर नै !
पिहिरयाँ पै माळ लेके राजी राखे ब्याहे वर नै !
ब्याहा वर तै सुल्फा पीवै,बेच खाई सारी टूम !
किसे तै भी बोले कोन्या एकला फिरे जा सूम !
आठ जगहां  तै लते जळ रहे टोटे नै मचाई धूम !
कासण बेच कै नै खा लिए,फिर चा की करी दुकान !!२!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

बीडी-चाए,पान बेचे सबते बोले करके प्यार !
महीने म्ह दिवाला लिकड़ा उसने पीगे मिन्त्र-यार !
पिसे मांग्ये जूत बाज्या सारी बाकी रही  उधार !
महीने भीतर घर नै आग्या एक लिया ङांडा मोल !
२० बीघे धरती बोई,बीज गेरया तोल तोल !
सुल्फा पीकै पड़ के सोग्या,धंधा लिया चोरां नै खोल !
गधा तलक भी बहा लिए,फेर पागल कहै जहान !!३!!
जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!

                             ब्याही बीर घर नै छोड़ी,बोहरियाँ का टोह्या मठ !
                              भगमा बाणा कान पड़ाय़े,एक कीकर का ठाया लठ !
                                    दिए माई-दिए माई,गोरै जा लगाया भठ  !
                               बालकपण म्ह बिगड़ होग्या,सोने का बणाया रांग !
                            लख्मीचंद नै देख देख इस दुनिया का बणाया सांग !
                                 मांगेराम हाथ जोड़े छोड़ दियो नै सुल्फा भांग !
                               गंगा जी से नहा लिए,म्हारा बसियो हिंदुस्तान!!४!!
                          जमाने तने के करी.किसे रंग दिखाए हो .............
                            दया धर्म सब जा लिए,जा लिए दीन ईमान !!टेक!!



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