ये भारत के हिंदी भाषी प्रान्तों के लोक साहित्य के महान कवि थे|पंडित मांगे राम जी बचपन से ही समाज सेवा व समाज कार्यों में रूचि रखते थे और उनकी ये रूचि आजीवन बनी रही|इस महान लोक नाट्यकार,लोक धारा कवि और अभिनेता का गढ़ गंगा पर गंगा के किनारे प्रभु का नाम लेते हुए २६ नवम्बर १९६७ में इस नश्वर संसार को त्याग कर प्रभु चरणों में लीन हो गये|
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