Sunday 14 October 2012

Shiromani Kavi Pandit Mange Ram Sangi


शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने १५ अगस्त  १९४७ के बाद राजनीति का एक बहुत बुरा पक्ष देखा!सत्ता के लिए लीडरों की भाग दौड़ शुरू हो गयी थी !हर कोई नेता बनने के चक्कर में रहता !वे सभी नये लीडर,श्री भगत सिंह,आजाद,लक्ष्मीबाई,सुभाष चन्द्र बोस,महात्मा गाँधी,पंडित जवाहरलाल नेहरु के बलिदानों को भूल कर सत्ता की  अंधी दौड़ में शामिल हो गये !हर कोई नेता बनने के चक्कर में रहता था !
शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने उन नेताओ का वर्णन निम्न प्रकार से किया है-

कोए कोमनिस्ट,कोए सोशलिस्ट,कोए लीग जमीदारा सै !रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


घर म्ह जूत लुगाई मारै,देखै बाट लीडरी की !बीस-तीस की गिणती कोन्या,गेल्याँ साठ लीडरी की !जेल म्ह जाकै करै कुर्बानी,ख़ुलरी हाट लीडरी की !ठग,डाकू,और चोर,लुटेरे,मारै डाट लीडरी की !डूब कै मर जाओ औ गद्दारों थारा कित का भाई चारा सै !!१!!रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


जवाहरलाल श्री गाँधी जी की,गेल बणा चाहवें सैं !कांटे कितने पैने कोन्या सेल बणा चाहवे सैं !चौकीदार भी मानै कोन्या पटेल बणा चाहवे सैं !जितने लंगड़े,लूले सारे रेल बणा चाहवे सैं !असम्बली की बात करै घरां कर्जे के 1800 !!२!!

रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


गाँधी जी नै न्यू सोची दिल ठंडे तै मानेगें !जवाहरलाल नै न्यू सोची कुछ झंडे तै मानेगें !अपणे भाई अपणी जनता प्रोपगंडे तै मानेगें !रिश्वत खोरी,ब्लैक करणीयां सब डंडे तै मानेगें !सोच समझ कै देख लियो यू राजपाट थारा सै !!३!!रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!


लन्दन आले आच्छे लिकड़े देकै राज अलग होगे !600 रियासत भारत के म्ह देकै ताज अलग होगे !गेल्याँ रुक्के मारणियां थे सब दगा बाज अलग होगे !घर की ढोलक,घर का बाजा लेकै साज अलग होगे !मांगेराम थारा सुणता कोन्या फुटा होड़ नगारा सै !!रै लीडरी के मारे रोवैं यू मतलब सारा सै !!टेक!!
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