शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी ने "क्रष्ण-सुदामा"नामक सांग बनाया था तो उस सांग की में १ रागनी और आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ !
रागनी तब की है जब सुदामा श्री क्रष्ण जी के पास पहुच जाते है तो अपने बचपन के मित्र को देखकर श्री क्रष्ण जी काफी खुश हो जाते हैं और अपनी पत्नी रुकमणी से क्या कहते है और पंडित जी ने लिख दिया -
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!
खड़ी-खड़ी के देखै मेरे मांह नै !
मैं ब्राह्मण की पूजा करूं छा नै !
पाँ नै ठादे रै रुक्मण,कांटे काढूँगा दो-चार !!१!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!
मेरा इस ब्राहमण में हित सै !
इस में बालकपण तै चित सै !
कित सै राधे रै रुक्मण,पहर के मालसरी का हार !!२!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!
मन से बुरे भले की दब नै !
तू भजा कर सच्चे रब नै !
सबनै ताहदे रै रुक्मण,रणवांसा तै बाहर !!३!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!
न्यू सोची गुरु लख्मीचंद नै !
देंगे काट द्ल्द्र फंद नै !
छन्द नै गा दे रै रुक्मण,मीठा सारंगी का तार !!४!!
पाणी तै ल्यादे रै रुक्मण,पाँ धोवेगा मेरा यार !!टेक!!
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