शिरोमणि कवि पंडित मांगेराम जी द्वारा रचित सांग"चन्द्रहास "में से ये रागनी ली गयी है !
जब दीवान चन्द्रहास को मारने की साजिश दुबारा करता है और मन्दिर में जल्लादों को बैठा देता है क्योंकि जब चन्द्रहास और विषिया दोनों पूजा करने जायेंगे !वहीं पर चन्द्रहास का सिर धड़ से अलग कर देंगे !पर वहां पर उनसे पहले विषिया का भाई मदन वहां पहुंच जाता है और जल्लाद उसी को चन्द्रहास समझ कर उसका कत्ल कर देते हैं जब चन्द्रहास और विषिया मन्दिर में पहुंचते हैं तो विषिया अपने भाई को मरा देख क्या कहती है और पंडित मांगेराम जी ने क्या लिख दिया-
रोऊँ बरसै नैनां तै नीर !
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!
मुख चुमुं,करूं लाड मदन का !
खून सूख ग्य़ा तेरे बदन का !
कौण बंधावै मेरी धीर !!1!!
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!
कौण बाहण के लाड करेगा !
माँ-जाई के कौण भात करेगा !
कौण उढावे दखणी चीर !!2!!
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!
तन म्ह होग्यी कौण बिमारी !
कित लाग्गी तेरै छुरी-कटारी !
कित सी लाग्या तीर !!3!!
माँ के जाए बोलिए रे मेरे बीर !!टेक!!
मांगेराम नै ल्याओ बुलाकै !
संजीवनी बूटी ज्यागा पिला कै !
हो ज्यागा अमर शरीर !!4!!
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