Saturday 21 July 2012

Kavi Siromani Pandit Mange Ram Sangi

जैसा की हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं कि कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम सांगी जितने संगीत कथानको के बीच में रहे हैं उससे अधिक तो कथानको से बहार रहे।उन्होंने सेकड़ो की संख्या में उपदेशात्मक,राष्ट्रीय चेतना,भक्ति भजन, समसामयिक घटना से सम्बन्धित भजनों एवं रागनियो की रचना की है जिस का विस्तृत वर्णन समसामयिक चित्रण एवं राष्ट्रीय चेतना के अंतर्गत  किया गया है।कवि शिरोमणि पंडित मांगेराम जी ने हरयाणवी संगीत पर एक रागनी लिखी थी जिसे देखे जाने पर ही संगीत का इतिहास पता चल जाता है -
हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


1 ढोलकिया एक सारंगिया अड़े रहे थे।
एक जनाना एक मर्दाना दो खड़े रहे थे।
15-16  कुंगर जड़्के खड़े रहे थे।
गली अर गितवाडा के म्ह बड़े रहे थे।
सब ते पहलम या चतराई किशनलाल की।।1।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


170 साल बाद फेर दीप चंद होग्या।
साजिन्दे दो बडा  दिए घोड़े का नाच बंद होग्या।
नीचे काला दामण उपर लाल कंद होग्या।
चमोले ने भुलग्ये न्यू न्यारा छंद होग्या।
3 काफिए गाये या बरणी रंगत हाल की।।2।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


हरदेवा,दुलीचंद,चतरू,एक बाजे नाई।
घाघरी ते उनने भी पहरी आंगी छुडवाई।
3 काफिए छोड़ एकहरी रागणी गाई।
उन ते पाछे लख्मीचंद ने डोली बरसाई।
बातां उपर कलम तोड़ ग्या आज काल की।।3।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।


 मांगे राम पाण्ची आला मन म्ह कर विचार।
घाघरी के मारे मरगे अनपड़ मूड़ ग्वार।
शीश पे दुपट्टा जम्पर पायां में सलवार।
इब ते आगे देख लियो चोथा चले त्यौहार।
जब छोरा पहरे घाघरी किसी बात कमाल की।।4।।



हरियाणे की कहानी सुण्लो 200 साल की।।टेक।।
कई किस्म की हवा चालगी नई चाल की।।




लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पान्ची वाले।


साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813610612
ईमेल-sahilkshk6@gmail.com

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