Saturday 21 July 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी जी ने मानव के परलोक साधने पर अनेक रागनियाँ बनाई थी जिनमे से एक प्रमुख रागनी है देखिये-
जाग ज्या मुसाफिर के तेरी आँख फुट्गी।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


फर्स्ट,सेकंड,थर्ड इंटर ड्ब्बे चार सें।
बिना टिकट बैठेगा ते डंडे त्यार सें।
चार सिपाही उनके संग म्ह 100 हथियार सें।
पाछे टी-टी  आग्गे दो थाणेदार सें।
तेरे साथ की साथण संग ना चाले रुठ्गी।।1।।


भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


बिना टिकट बैठ्गा ते तने टी-टी  पावेगा।
पकड़ के ले जां तने कोण छुटावेगा।
कुटुंब कबीला,मात-पिता खड़ा लखावेगा।
दुणा ले ले भाड़ा तेरे पे तू कित लावेगा
तू ब्याही की बात देख रहया हथी टूट गी।।2।।


भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।



जाग ज्या मुसाफिर के तेरी आँख फुट्गी।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


रेल म्ह ते उपर पहोच्या गेट के धोरे। 
यम के दूत घाल दे पेटी पेट के धोरे।
पड्या-पड्या तडपेगा नरक लेट के धोरे।
घाल के नै बेडी ले ज्याँ सेठ के धोरे।
पकड़ा गया जब ते तेरी किस्मत फुट गी।।3।।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।


धुर की टिकट कटा ले के तने वापस आणा।
तन के कपड़े तार ले तेरा बदला जा बाणा।
ना टेसन लगे रस्ते में तने 10वे प जाणा।
लख्मीचंद भी पावे आगे सुण आंनंद से गाणा।
मांगे राम प्रेम का प्याला मीरा घुट गी।।4।।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।



जाग ज्या मुसाफिर के तेरी आँख फुट्गी।
भाज के टिकट ले ले तेरी रेल छुट्गी।।टेक ।।








लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पान्ची वाले।



साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813610612

ईमेल-sahilkshk6@gmail.com







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