Saturday 11 August 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

आज मैं आपके ज्ञान व् मनोरंजन के लिए कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी के सांगीतो(सांगो)का लगातार प्रस्तुतीकरण करने जा रहा हूँ!आज पंडित मांगे राम जी के बहुत ही लोकप्रिय एवम मधुर तथा ज्ञानवर्धक रागनियो के साथ क्रष्ण-जन्म सांग को आपके सामने ला रहा हूँ!
वार्ता-सज्जनों!यह कथा द्वापर युग की है|मथुरा में राजा उग्रसेन राज किया करते थे|वे बड़े महात्मा और प्रतापी राजा थे|लेकिन उनका लड़का कंस बड़ा निर्दयी और कुकर्मी था|कंस ब्रहामणों,साधू-संतो और ऋषि मुनियों को बहुत कष्ट दिया करता था,उसने बड़े भारी कुकर्म किये|कंस के पाप और अधर्म से प्रथ्वी काँप उठी|जब कंस के पापो से प्रथ्वी तंग और परेशान हो गयी तो वह ब्रह्मा जी के पास पहुचती है और क्या कहती है-
प्रथ्वी बोल्यी ब्रह्मा जी से लाज बचा दयो ने मेरी|
उग्रसेन का कंस अधर्मी ऋषियों पे विपता गेरी||टेक||

यज्ञ,हवन,तप-दान  रहे ना होगी सूं बलहीन प्रभु|
संध्या तर्पण,अग्नि-होत्र कर दिए तेरां तीन प्रभु|
वेद-शास्त्र,उपनिषदों में करता नुक्ताचीन प्रभु|
राम-नाम सबका छुटवाया कुकर्म में लव-लीन प्रभु|
जरासंध शिशपाल अधर्मी करते हैं हेरा-फेरी||१||
उग्रसेन का कंस अधर्मी ऋषियों पे विपता गेरी||टेक||

गंगा-जमना,त्रिवेणी का बंद करया अस्नान प्रभु|
जहां साधू संत महात्मा योगी करया करे गुजरान प्रभु|
मन्दिर और शिवाले ढाह दिए घाल दिया घमशान प्रभु|
मैं मृतलोक म्ह फिरूँ भरमती आके शरण लई तेरी||२||
उग्रसेन का कंस अधर्मी ऋषियों पे विपता गेरी||टेक||

न्याय-नीति और मनुस्म्रती भूल गया संसार प्रभु|
भूल गया मर्याद जमाना होरी मारो मार प्रभु|
कोन्या ज्ञान रहया दुनिया म्ह होग्ये अत्याचार प्रभु|
पत्थर  बाँध के ऋषि डुबो दिए जमना जी की धार प्रभु|
संत भाजग्ये पर्वत पे मथुरा में डूबाढ़ेरी||३||
उग्रसेन का कंस अधर्मी ऋषियों पे विपता गेरी||टेक||

सतयुग म्ह हिरणाकुश मारया नरसिंह रूप धरया प्रभु|
त्रेतां म्ह तने रावण मारया बण के राम फिरया प्रभु|
क्रष्ण बण के कंस मार दे होज्या ब्रज हरया प्रभु|
कहे मांगेराम रम्या सब म्ह,हूँ सेवक शाम तेरा प्रभु|
ब्रज म्ह रास दिखा दे आके गोपी जन्म घरां लेरी||४||
उग्रसेन का कंस अधर्मी ऋषियों पे विपता गेरी||टेक||

लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पाँची वाले




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