Wednesday 15 August 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

गत १५  नवम्बर २०११ को कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी की ४५वीं  पुण्यतिथि थी|उस दिन समाचर-पत्रों से ज्ञात हुआ कि सरकार ने इस कवि शिरोमणि का न तो कोई स्मारक बनाया और न ही इनके नाम पर कोई साहित्य अकादेमी पुरस्कार आदि रखा|मुझे ये जानकर बहुत दुःख हुआ,परन्तु सरकार को मैं कुछ नहीं कह सकता था,सो मैंने अपने स्तर पर कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम के व्यक्तित्व एवम क्रतित्व पर एक संस्कृत महाकाव्य लिखने  की सोची|मुझे जो भी  साधन सामग्री मिली,उसी के आधार पर ये महाकाव्य लिखा|
इस विषय में मेरा कहना है कि एक तो मैं संस्कृत कवि हूँ,दूसरा मेरा उद्देश्य है कि कवि शिरोमणि की ओर लोगो का ध्यानाकर्षण करने के लिए कुछ तो विचित्र होना  ही चाहिए|फिर इस महाकव्य से मेरे दो उदेश्य पूरे हुएं हैं-एक संस्कृत के साहित्य की व्रद्धी,   दुसरे लोक संस्कृति  की सेवा|
एक बात और भी है कि कवि शिरोमणि मांगेराम ने भी अपनी लगभग आधी रचनाओ की कथावस्तु संस्कृत से ही ली है,सो इस तरह तो मेरा कवि से सीधा सम्बन्ध हो जाता है|
अब प्रश्न उठता है कि महाकाव्य मांगेराम पर ही क्यों?सो इस पर मेरा कथन है कि हरियाणवी के सांगियों तथा उनकी रचनाओ की जितनी जानकारी मुझे है तदनुसार मेरा मानना है कि  मांगेराम का हरियाणवी साहित्य में वही स्थान है जो हिंदी साहित्य में मैथिलीशरण गुप्त का है-अर्थात मैं मांगेराम जी को राष्ट्रीय विचारधारा का सुधारवादी कवि मानता हूँ,जिसका प्रमुख उद्देश्य जनजागरण है तथा जिसने अश्लीलता तथा फूहड़पन को हटाकर शुद्ध एवम आदर्शपूर्ण मनोरंजन दिया है|
बीसवीं शताब्दी में हरियाणा में लगभग १०० संस्कृत कवि तथा इतने ही हिंदी के कवि और लेखक हुएं हैं,पर इनमे शायद ही किसी ने हरियाणवी भाषा,इसके कवि अथवा इनकी रचनाओ पर कुछ लिखने का कष्ट किया हो,जिसका परिणाम यह हुआ कि हरियाणवी भाषा और साहित्य,पड़ोस के अन्य राज्यों की प्रांतीय भाषा की तुलना में बहुत पीछे रह गया|
"लोककवि मांगेरामचरितम" एक छन्दोंबद्धतथा  सर्गबद्ध रचना है,जन सामान्य के लिए मैंने इसका भाषा-अर्थ भी लिख दिया है|
                                                     आचार्य महावीर प्रसाद शर्मा,
                                                                विद्यावाचस्पति||c|| 
                                                      317,sector-7,Urban Estate,
                                                                Karnal(Haryana)|
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