कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी जी ने ईश्वर को मीरा जी के द्वारा याद करते हुए मीरा के अनेक भजन बनाये थे जिनमे से एक भजन उस समय का है जब मीरा बाई श्री क्रष्ण को याद करती है तो पंडित मांगे राम जी ने लिख दिया-
आ ज्या नन्द के दुलारे हो,रोवे अकेली मीरा||टेक||
रोम रोम म्ह रम्या होया सै,
नही रोम ते न्यारा हो|
असुरो के तन्ने मान घटाए,
भक्तो का बना प्यारा हो,टोहवे अकेली मीरा||१||
आ ज्या नन्द के दुलारे हो,रोवे अकेली मीरा||टेक||
आदम देह के चोले गेल्या,
ये दूत रहे सै यम के हो,
सतरंज सेज बिछा राखी,
और लगे गलीचे गम के हो,सोवे अकेली मीरा||२||
आ ज्या नन्द के दुलारे हो,रोवे अकेली मीरा||टेक||
बालक सी ने ब्याह करवाया,
तेरे संग म्ह ब्याही हो,
पीहर छोड़ सासरे आग्यी,
ला दी कुल के स्याही हो,धोवे अकेली मीरा||३||
आ ज्या नन्द के दुलारे हो,रोवे अकेली मीरा||टेक||
मांगेराम ने टोहे जा सै,
कोन्या पाया घर पे हो,
श्री लख्मीचंद स्वर्ग म्ह जा लिए,
फेर भी बोझा सिर पे हो,ढोवे अकेली मीरा||४||
आ ज्या नन्द के दुलारे हो,रोवे अकेली मीरा||टेक||
लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पाँची वाले|
साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813610612
email-sahilkshk6@gmail.com
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