जहाज के म्ह बैठ गोरी राम रट के|
ओढना संगवाले तेरा पल्ला लट के||टेक||
मने तो पुचकार गई मेरी सासु और साली|
तने दे गई राम राम वा मुहं बटुए से आली|
धन धन से तेरे मात पिता जिस ने लाड लडा के पाली|
मैं ठालूँगा गठड़ी तू ले पेटी की ताली|
काली चोटी पड़ी कमर पे नाग सा सटके||१||
ओढना संगवाले तेरा पल्ला लट के||टेक||
मेरे दुःख दरदां की बुझ ले तू पाछे रो लिए|
चाचा ताऊ तेरे कुटुंब के सब वापस हो लिए|
एक रति भी कम कोन्या चाहे कांटे तोलिए|
मुहं बटुए से आली एक ब घुघंट खोलिए|
बोलिए बतलाइए मेरे ते बे खटके||२||
ओढना संगवाले तेरा पल्ला लट के||टेक||
हो ज्यागी मेरी माँ भी राजी जब घरां बड़ेंगे|
जितने मित्र यारे प्यारे मेरे साथ लड़ेंगे|
लुहकमा ब्याह कर वा लिया सो सो बात घड़ेंगे|
तू देवर कह के बोल्या करिये फूल झड़ेंगे|
पड़ेंगे गलूर दूर कट कट के||३||
ओढना संगवाले तेरा पल्ला लट के||टेक||
रोहतक सै जिला हमारा हरियाणे म्ह नाम|
सोनीपत तहसील लागती पान्ची सै गाम|
आशिकी म्ह सांग सिख्या जमीदारा काम|
लख्मीचंद गुरु जी म्हारे गंगा जैसा धाम|
मांगेराम ने सांग सिख्या लुट पिट के||४||
ओढना संगवाले तेरा पल्ला लट के||टेक||
लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पाँची वाले|
साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813160612
email-sahilkshk6@gmail.com
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