कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी जी ने अपने समकालीन सांगी भाइयों के सांग करने के बारे में काफी प्रकाश डाला|उस समय के पंडित दीपचंद से लेकर स्वयं पंडित मांगे राम सांगी तक के सांग करने के तरीकों के बारे में और सांग विधा के बारे में एक बहुत ही सुंदर रचना बनाई थी जो इस प्रकार है-
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
दीपचंद के खिमा कुतबी धौली चादर ओढया करते|
आडा-तिरछा ढुंगा मारै हाथ तले नै कोडा करते|
गोली किसा निशान लागै,तीन काफिए छोड्या करते|
खिमा तै सोरठ बनता फिर दीपचंद बणता बंजारा|
मरगे कुतबी मरगे कुतबी,मार दिया मेरे फटकारा|
बीजा बण कै आया करता बिन बजा कै सांग दिख्यारा|
दो नकली के तख्तां कै उपर बकते बात उघाड़ी||१||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
हरदेव तै राँझा बणता,चतरू की बनाई हीर|
सादिक के म्ह चाले काटे,कहते देखे मर्द और बीर|
मरगे चतरू मरगे चतरू,बोलां के मारै था तीर|
बाजे ने एक झम्मन पाला गिण कै डाक मराई तीन|
हाय मरगे हाय मरगे,आख्यां देख्या करो यकीन|
जमाल के नै कुरान पढ़ा कै दुनिया का बिगाडया दीन|
बहुत से माणस हीरामल नै पागल कहें अनाड़ी||२||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
दुनिया के म्ह शोर माच ग्या लकड़हारा गावण लाग्या|
मरगे दादा मरगे दादा,भर भर डोली ठावण लाग्या|
ब्होत सी दुनिया पाछे छोडी,नये नये सांग सुणावण लाग्या|
लख्मीचंद का माईचन्द था,काठ बैहल सी हाल्या करता|
बागां में नोटंकी बण कै ,खटोले से साल्या करता|
फेर आगे आगे नोटंकी अर पाछे बामण चाल्या करता|
लख्मीचंद माळी की बण कै बांध्या करता साडी||३||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
धनपत ने एक श्याम बणाया श्याम खटक गया सारा कै|
पाका श्याम डूम का छोरा काच्चा श्याम कुम्हारा कै|
सिलो सिलो कह कै बोले या लागे खटक गवारां कै|
आंग्लियाँ तै करें इशारे जा ली बलख बुखारे में|
सी -सी कर कै सांग करे जणु खाली मिर्च बिचारे नै|
मुह जळ ज्य़ा तै मीठा खा ले,ले अगले समझ इशारे नै|
ज्यानी चोर पै जोर लगा दिया धनपत पिछम पिछाड़ी||४||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
दत नगर का चन्द्र बादी तेली का एक लेरया छोरा|
करमु का कर्मबीर बणाया जिस पै बांगर पागल होरया|
मुह मरका कै करे इशारे आख्यां में स्याही का डोरा|
एक हीर के नै दीन बिगाडया हिन्दू रह्या ना मुसलमान|
बादियाँ कै होका पीवै जाने सै यो जगत जहान|
बनवारी का टीबा ठा कै दत नगर पड़वाये कान|
ही-ही करे जणु गादड़ बोले सारी फसल उजाड़ी||६||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
राम किशन माईराम का चेला,बेड़े बंद की पदवी थ्यागी|
दिन धौली पंसारी बण गया मुसे नै एक हल्दी पागी|
आँख मीच कै पड़ कै सोगया पाले नै तै बकरी खागी|
किसका पाला किसकी बकरी क्यों बण रह्या सै सहम रूखाला|
पन्मेशर का भजन करे ज्य़ा गळ में पहर काठ की माला|
ब्यास का ब्यास बणा रहग्या वो ब्यास बणे था नारनोंद आला|
यो धंधा तेरा चाले कोन्या तू टोह ले काम अगाड़ी||६||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
मांगेराम मसीता तेरा भाई का भाई रहग्या|
मांगेराम सूरजमल तेरा राही का राही रहग्या|
मांगेराम टेकचंद तेरा नाई का नाई रहग्या|
एक सरुपा अर एक कपूरा रोक्या खड़ें रकाने नै|
ध्रुव भगत अर क्रष्ण जन्म के ओटे कोण निशाने नै|
बाप और बेटी सुणों बैठ के या पट री जाण जमाने नै
कहे मांगेराम तेरा ज्ञान लुट गया तेरी खुली पड़ी किवाड़ी||७||
हे रै कुछ ज्ञान रह्या ना दुनिया की चाल बिगाड़ी||टेक||
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Sahil And Navrattan Sharma
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