Thursday 23 August 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi

यह रागनी नोरत्तन के किस्से  से है, जो कवि शिरोमणि  पंडित मांगे राम द्वारा रचित है| तो रागनी उस समय की है, जब लडकी नोरत्त्न की लडके नोरत्त्न से शादी हो जाती है तो उस लडकी नोरत्त्न की सहेलियाँ उसे विदा करते हुए क्या कहती हैं-
सासरे में भूल जागी सखियों का मोह जाल सारा,
कित गुडिया का खेलना कित झाखी दार चोबारा||टेक||

तने आपे माला घाली, किसे न उल्हाणा कोन्या,
चुनी चोला पहर री तेरा, दुर्बल बाणा कोन्या,
परियां कैसी दिखे सै, तेरा चीर पुराणा कोन्या,
सारस बरगी जोट मिली, तेरा बालम याणा कोन्या,
सखियाँ के संग चाल्या करती मृगा  जिसा  लंगारा||१||
कित गुडिया का खेलना कित झाखी दार चोबारा||टेक||


बेटी का के धन बाप के, पाळी पोषी ब्याह दी,
सिमण,ओढ़ण,पहररण के सारे लखण ला दी,
नोरत्त्न परदेशी लड़का उसके संग प्रणा दी,
जो कुछ पुग्या दिया बाप ने  अपणे बार ते ठा दी,
डोळे के म्ह बैठ चली जाणु लाद चल्या बंजारा||२||
कित गुडिया का खेलना कित झाखी दार चोबारा||टेक||

करवा चोथ पति के ना, की कातिक म्ह बतलाई,
दस दिन पाछे आवे दिवाली घर घर बटें मिठाई,
माह,पोह म्ह सक्रांत बतावें जाड़ा पड़े सवाई,
फागण के म्ह होली हो सै भेजें बाह्मण नाई,
तीजां ने तेरे धोरे आज्या तेरा  कोथली-सिंधारा||३||
कित गुडिया का खेलना कित झाखी दार चोबारा||टेक||


तू ते लेगी बैठ जहाज म्ह हम भोत घणी डर ज्यांगी,
जहाज दिखण ते बंद होले जब उलटी ए फिर ज्यांगी,
धुर लग जिक्र चलेगा तेरा हम अपणे घरां डिगर ज्यांगी,
मांगे राम फ़िक्र तेरी म्ह बिन मारे मर ज्यांगी,
जहाज छूट ग्या बन्दरगाह ते दिख रह्या क्नठारा||४||
कित गुडिया का खेलना कित झाखी दार चोबारा||टेक||

लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी(copy right 2012 (c))


Sahil and Navrattan Sharma
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