Friday 10 August 2012

Kavi Shiromani Pandit Mange Ram Sangi


कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम जी को अपनी म्रत्यु का पहले ही पता था और उन्होंने प्रण किया हुआ था की वे जब तक जीवित हैं वे तब तक गड गंगा जी में नहाते रहेंगे और वे सुब कुछ गंगा मैया जी के देन  मानते थे तो उनकी ये महान रचना देखिये जिसमे उन्होंने अपनी म्रत्यु स्थान भी बता दिया था-
गंगा जी तेरे खेत म्ह मई गड़े री हंडोले चार |
कन्हैया झूलते श्री रुक्मण झुला रही||टेक||

शिव जी के कर मंडल में,विष्णु जी का लाग्या पैर|
पवन पवित्र अमृत बनके पर्वत उपर गई थी ठहर|
भागीरथ ने तप कर राख्या खोद के लाया था नहर|
साठ हजार सगड के बेटे जो मुक्ति का पाग्ये धाम|
अयोध्या के धोरे आके गंगा जी धरया था नाम|
ब्रम्हा विष्णु शिवजी तीनो पूजा करे सुबह शाम|
सब किम्मे से तेरे हेत म्ह माई हो रही जय जय कार||१||
कन्हैया झूलते श्री रुक्मण झुला रही||टेक||

अष्ट बसु पैदा करके ऋषियों का उतारा शाप |
शांतनु के ब्याही गई ब्सुओ का बनाया बाप|
सील गंगे छोड़ के ने स्वर्ग में गई थी आप|
तीन चरण सुरग म्ह रह गये एक चरण धरके आई|
नो सो मिल इस प्रत्वी पै अमृत रूप बन के छाई|
अथर अजुर रिगु तीनो वेदों में बड़ाई गाई|
शिव जी चढ़े थे जनेत म्ह कैसी बरसी मुसलधार||२||
कन्हैया झूलते श्री रुक्मण झुला रही||टेक||

गऊमुखी,बद्रीनाथ,लछमन झुला छूटी लहर|
हरिद्वार,ऋषिकेश,कनखल म्ह अमृत की गहर|
गडमुक्तेश्वर ,इलाहाबाद,गया जी पवित्र शहर|
कलकते ते सीधी होली हाबड़ा दिखाई शान|
समन्दर के जा के मिलगी सागर जी का बढ़ाया मान|
सूर्य जी ने अमृत पी के अम्यो जल का करया बखान|
एक दिन गई थी स्नेहत म्ह जित अर्जुन क्रष्ण मुरार||३||
कन्हैया झूलते श्री रुक्मण झुला रही||टेक||

मवासी नाथ तेरे अंदर जाण के मिले थे आप|
मानसिंह भी तेरे अंदर पिछाण के मिले थे आप|
लख्मीचंद भी तेरे अंदर आण के मिले थे आप|
वोहे मुक्ति पाया करे तेरे अंदर नहाने आला|
पाँची म्ह वास करे मामूली सा गाणे आला|
एक दिन तेरे बीच मांगेराम आणे वाला|
आण रलेगा तेरे रेत म्ह फिर टोहवेगा संसार||४||
कन्हैया झूलते श्री रुक्मण झुला रही||टेक||




लेखक-कवि शिरोमणि पंडित मांगे राम सांगी पाँची वाले|

साहिल कौशिक,
मोबाइल-+919813610612 begin_of_the_skype_highlighting            +919813610612      end_of_the_skype_highlighting
email-sahilkshk6@gmail.com

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