पश्चिम के विद्वान लोंजाइनस का कथन ""महान प्रतिभाशाली,चरित्रवान,विद्वान् और यशस्वी व्यक्ति ही उदात काव्य का सर्जन करने में समर्थ होता है"|जिनका सारा जीवन निम्न एवम संकीर्ण विचारो का अनुसरण करने में बीतता है,ऐसे आदमी मानवता के लिए स्थायी महत्व की रचना करने में कभी भी सफल नही होते| विद्वान लोंजाइनस का यह कथन पंडित मांगे राम के व्यक्तित्व में देखा जा सकता है|हकीकत राय,अमरसिंह राठौर,भगत सिंह उनकी देश भक्ति की भावना क्रष्ण-जन्म,क्रष्ण-सुदामा,शिव जी का ब्याह तथा असंख्य मीरा के भजन उनकी उदात धार्मिक प्रवर्ति,ध्रुव भगत का सांग उनकी सामाजिक प्रवर्ति खांडेराव परी सांग परोपकारी प्रवर्ति का द्योतक है और महात्मा बुद्ध के सांग की रचना,उनकी सत्य एवम अहिंसा की प्रवर्ति के मुंह बोलते प्रमाण है|
पंडित मांगे राम हरियाणवी ग्रन्थावली(रघबीर सिंह मथाना)(c)
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