पंडित मांगे राम
पंडित मांगे राम जी का रचना संसार बेहद ससक्त था!उनके किसी भी सांग मे अश्लीलता नही नज़र आती!उन्होंने अश्लीलता को अपने सांगो में समाप्त कर दिया था!उन्होंने अपनी रागिनियो के बोल को इस प्रकार सेट करते थे की उनकी रागिनी की पंक्तियों को लोग आज मुहावरों में प्रयोग करने लगे!जैसे-
१.भुंडे कामा धोरे लोगो मांगे राम नही सै!
२.मांगे राम पार हो ज्यागा नित रखिये हर मे!
३.खुडके ते के डरना सै जब जढ़ में हाट ठठेरे की!
४.राजा रूस्से नगरी लेले और देश में के राह कोन्या
५.वहां धोबी के करे जड़े नंगो के गाम!
६.गूंगे की माँ समझा करे गूंगे के इशारा ने!
७.एक हल्दी की गांठ मिली मुस्से ने वो बण बैठ्या पंसारी!
८.देख बिराणी चोपड़ी क्यों ललचाया जी!
९.गधा गऊ न हो सकता चाहे गंगा बीच न्व्हाले!
१०.काला सर्प नही अपना चाहे कितना ए दूध पीलाले!
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